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मुइज्जू की चुनाव में बड़ी जीत से भारत-मालदीव के रिश्तों में बढ़ सकती है कड़वाहट, पढ़ें विशेषज्ञ की राय - India Maldives Relations - INDIA MALDIVES RELATIONS

India Maldives Relations: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने 93 में से 70 सीटें जीतकर संसद में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. इससे मुइज्जू के लिए चीन के करीबी जाने के लिए विधायी बाधाएं भी दूर हो गई हैं. विशेषज्ञ हर्ष वी पंत का मानना है कि इससे भारत और मालदीव के रिश्ते और खराब हो सकते हैं. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

India Maldives Relations
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 22, 2024, 9:02 PM IST

Updated : Apr 22, 2024, 9:16 PM IST

नई दिल्ली: भारत और मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ सकती है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की वजह से चीन के साथ संबंध मजबूत करने की उम्मीद है. उनके लिए विधायी बाधाएं भी दूर हो गई हैं. नई दिल्ली स्थित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अध्ययन विभाग के उपाध्यक्ष हर्ष वी पंत ने ईटीवी भारत को बताया कि यह स्थिति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होने की संभावना है.

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी ने रविवार को चुनाव में भारी जीत हासिल की है. सूत्रों के अनुसार, पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने 93 में से 70 सीटें जीतकर संसद में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. भारत समर्थक माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) इस बार सिर्फ 15 सीटें जीत पाई. जबकि पिछले संसदीय चुनाव में एमडीपी को 65 सीटें मिली थीं.

मालदीव के चुनाव परिणाम पर विशेषज्ञ हर्ष वी पंत ने कहा कि मालदीव में चीन समर्थक पार्टी की चुनाव में जीत का भारत और मालदीव के बीच संबंधों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है. उन्होंने चेतावनी दी कि दोनों देशों के संबंधों में आगे बहुत उथल-पुथल हो सकती है क्योंकि राष्ट्रपति मुइज्जू इस जीत को अपनी नीतियों को समर्थन के रूप में देख सकते हैं, जो भारत को निशाना बनाने के लिए जानी जाती हैं. विधायी बाधा न होने के कारण वह मालदीव को चीन के और करीब ले जाएंगे, जिससे भारत-मालदीव संबंधों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो सकती है. इसलिए राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए भारत-मालदीव संबंधों के महत्व को पहचानना और उन्हें प्रभावी ढंग से संभालना महत्वपूर्ण है. ऐसा न करने पर मालदीव के लिए महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं. साथ ही भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, मौजूदा स्थिति में भारत-मालदीव संबंधों का भविष्य राष्ट्रपति मुइज्जू के निर्णयों पर निर्भर करता है. उनके पिछले रैवेये से पता चलता है कि वह मालदीव को चीन के करीब ले जाना जारी रख सकते हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में अशांति पैदा हो सकती है. मुइज्जू के लिए भारत-मालदीव संबंधों के महत्व को समझना और उन्हें संतुलित तरीके से मैनेज करना जरूरी है. भारत विरोधी नीति या बयानबाजी न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए बल्कि मालदीव के लिए भी महंगी साबित हो सकती है. क्योंकि चीन के सामने पूरी तरह नतमस्कत हो जाना भी अच्छा विचार नहीं है.

पंत ने कहा कि चीन के लाभार्थी होने की वजह से मुइज्जू के लिए भारत-मालदीव संबंधों के महत्व को पहचानना और अपनी विदेश नीति को संतुलित करने के लिए उचित उपाय करना अनिवार्य है. हालांकि, गेंद मुइज्जू के पाले में है, और उन्हें यह तय करना होगा कि वह इस रिश्ते के भविष्य को कैसे आकार देना चाहता है.

मालदीव और भारत के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं. इन सबसे के बीच मालदीव में चुनाव हुए हैं. जब से राष्ट्रपति मुइज्जू ने देश की सत्ता संभाली है, उनके भारत विरोधी अभियान की वजह से भारत के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं. मुइज्जू ने भारत को इस साल मई तक मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिए भी मजबूर किया है, जो पड़ोसी देश में तीन विमानन प्लेटफार्मों का संचालन कर रहे हैं. साथ ही मुइज्जू ने देश की पारंपरिक नीति के खिलाफ जाकर इस साल जनवरी में चीन का दौरा किया और राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित शीर्ष चीनी नेताओं से मुलाकात की. इसके बाद मालदीव-चीन के बीच रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2024 में लक्षद्वीप की यात्रा की थी. इसके बाद मालदीव के कुछ नेताओं की भारत और पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के कारण दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में भारी गिरावट आई है. पीएम मोदी की यात्रा को मालदीव के खिलाफ लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में देखा गया. ध्यान देने योग्य बात यह है कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और भारत की 'सागर' (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और पड़ोसी प्रथम नीति' जैसी पहलों में एक विशेष स्थान रखता है.

भारत-मालदीव के बीच तनावपूर्ण संबंधों का प्रभाव केवल राजनयिक संबंधों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पर्यटन कूटनीति तक भी फैला हुआ है. मालदीव, जो एक समय भारतीय पर्यटकों के लिए पसंदीदा गंतव्य था, इन विवादों के बाद भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट देखी गई है. वहीं, अब सबसे ज्यादा चीनी पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. भारतीय पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है. मुइज्जू के लिए भारत-मालदीव संबंधों के महत्व को पहचानना और द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए अपनी विदेश नीति को संतुलित करना होगा. इससे न सिर्फ दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि मालदीव में पर्यटन उद्योग की समृद्धि भी सुनिश्चित होगी.

मालदीव के पर्यटन मंत्रालय की हालिया मासिक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और मार्च 2023 के बीच 56,208 भारतीय पर्यटक मालदीव घूमने गए थे. जनवरी-मार्च 2024 में यह संख्या घटकर 34,847 हो गई. इस बीच, जनवरी-मार्च 2024 के बीच चीन पर्यटकों की संख्या बढ़कर 67,399 हो गई, जबकि जनवरी-मार्च 2023 के दौरान 17,691 चीनी पर्यटकों ने मालदीव की यात्रा की थी.

इस बीच, राष्ट्रपति मुइज्जू को जीत की बधाई देते हुए चीन ने सोमवार को कहा कि वह मालदीव के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करेगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन पारंपरिक मित्रता बनाए रखने और विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान व सहयोग का विस्तार करने के लिए मालदीव के साथ काम करने को इच्छुक है. वेनबिन ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि बीजिंग का लक्ष्य चीन-मालदीव व्यापक रणनीतिक साझेदारी को लगातार गहरा करने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए साझा भविष्य वाली योजनाओं के निर्माण में तेजी लाना और लोगों को बेहतर लाभ पहुंचाना है. वांग ने कहा कि हम मालदीव को सफलतापूर्वक संसदीय चुनाव कराने के लिए बधाई देते हैं और मालदीव के लोगों की पसंद का पूरा सम्मान करते हैं."

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Last Updated : Apr 22, 2024, 9:16 PM IST

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