नई दिल्ली/ वॉशिंगटन: भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद नए स्तर पर पहुंच गया है. खासकर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के खिलाफ कनाडा के नए आरोपों के बाद दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया है. कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त समेत अन्य राजनयिक आधिकारियों को 'आपराधिक गतिविधियों' से जुड़े होने का आरोप लगाया गया है.
इसके बाद भारत ने उच्चायुक्त समेत अपने अन्य राजयनिकों को कनाडा से वापस बुलाना की फैसला लिया. साथ की नई दिल्ली में मौजूद कनाडा के छह वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित करते हुए 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने को कहा है.
भारत की इस कार्रवाई के बाद कनाडा ने भी छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश जारी कर दिया. कनाडा ने भारतीय राजनयिकों पर लक्षित हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि भारत ने उसकी जांच में सहयोग नहीं किया.
वहीं, वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्टमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कनाडा में आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, कनाडाई अधिकारियों ने भारत सरकार के वरिष्ठ लोगों पर कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाया है, जिसमें हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और खालिस्तानी समर्थक तत्वों पर अन्य हमले शामिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, ये दावे इंटरसेप्ट किए गए संचार और नई एकत्रित खुफिया जानकारी के आधार पर किए गए हैं. रिपोर्ट में गृह मंत्री अमित शाह को भी हमलों में शामिल वरिष्ठ अधिकारियों में से एक बताया गया है. वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, बढ़ते तनाव को दूर करने के लिए सिंगापुर में कनाडाई और भारतीय अधिकारियों के बीच एक गुप्त बैठक हुई, लेकिन भारत ने हमलों में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया. वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि बैठक के दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारतीय राजनयिकों द्वारा निगरानी गतिविधियों को स्वीकार किया, लेकिन हिंसा से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया.
रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के दावे
रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने कहा कि उसने कनाडा की धरती पर भारत सरकार के एजेंटों की 'संगठित' आपराधिक गतिविधियों की जांच के लिए फरवरी 2024 में टीम बनाई थी. आरसीएमपी ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों और हत्याओं के बीच 'संबंधों' को उजागर करने का दावा किया.
RCMP ने दावा किया कि इन राजनयिकों ने अपने आधिकारिक पदों का इस्तेमाल गुप्त गतिविधियों में शामिल होने के लिए किया और आपराधिक प्रॉक्सी के जरिये उन्हें लक्षित करने के लिए दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों पर खुफिया जानकारी जुटाई.
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