विजयवाड़ा: मार्गदर्शी की प्रबंध निदेशक (एमडी) शैलजा किरण शनिवार को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में छठे 'वर्ल्ड तेलुगु राइटर्स कॉन्फ्रेंस' के उद्घाटन समारोह में शामिल हुईं. उन्होंने इस दौरान रामोजी ग्रुप के संस्थापक पद्म विभूषण चेरुकुरी रामोजी राव का तेलुगु भाषा के प्रति प्रेम को याद किया.
वर्ल्ड तेलुगु राइटर्स कॉन्फ्रेंस
विजयवाड़ा में शनिवार से शुरू हुए छठे 'वर्ल्ड तेलुगु राइटर्स कॉन्फ्रेंस'के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए शैलजा किरण ने तेलुगु की महानता और मातृभाषा में बातचीत के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि, तेलुगु देश में चौथी और दुनिया में 14वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. शैलजा किरण ने कहा कि, ऐसे में यह सोचना भी गलत है कि, केवल अंग्रेजी में बोलना ही महानता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि, तेलुगु भाषा को लोकप्रिय बनाने में कवित्रयम जैसे कवियों का योगदान रहा है.
तेलुगु संगीत और भाषा की सराहना
वर्ल्ड तेलुगु राइटर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मार्गदर्शी की एमडी शैलजा किरण ने कहा कि, श्रीकृष्ण देवराय ने तेलुगु को भारत की सर्वश्रेष्ठ भाषा बताया था. रविंद्रनाथ टैगौर ने तेलुगु संगीत और भाषा की सराहना की थी. इस दौरान मार्गदर्शी की एमडी ने रामोजी ग्रुप के संस्थापक चेरुकुरी रामोजी राव को याद किया. उन्होंने कहा कि, रामोजी राव को तेलुगु भाषा और उससे जुड़े राज्यों से काफी लगाव था. शैलजा किरण ने कहा, "हम सुबह उन्हें (रामोजी राव) नमस्कार करते थे और तेलुगु भाषा में शुभोदयम (गुड मॉर्निंग) कहते थे. घर के सभी सदस्य रामोजी राव को सुबह क समय शुभोदयम ही कहा करते थे.
रामोजी राव का तेलुगु भाषा के प्रति प्रेम को किया याद
शैलजा किरण ने रामोजी राव से जुड़े यादों को लोगों के साथ शेयर करते हुए कहा कि, वह (रामोजी राव) इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि हमारे घर में बच्चे तेलुगु में ही बातचीत करें. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोगों से कहा कि, रामोजी राव की याद में हम सब आज से 'शुभोदयम' कहेंगे. शैलजा किरण ने अपनी बातों को स्पष्ट रूप से समझाते हुए कहा कि, हम जो सोचते हैं कि, हमारा है, उसका हम बहुत ख्याल रखते हैं...ठीक वैसे ही तेलुगु भाषा हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है. यह अपनी भाषा है और इसलिए हमें अपनी भाषा के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
'आइए तेलुगु भाषा को बचाएं': जस्टिस रमना
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने तेलुगु भाषा की सुंदरता और महत्व पर जोर दिया. उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "आइए तेलुगु भाषा को बचाएं." उन्होंने रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने रामोजी राव को "तेलुगु मां का प्रिय पुत्र" और तेलुगु भाषा और परंपराओं के संरक्षण के लिए योद्धा कहा. जस्टिस रमना ने कहा कि,"रामोजी राव ने हमारी संस्कृति को बचाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी." उन्होंने कहा कि, पूरा तेलुगु जगत इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति को महसूस कर सकता है.
उन्होंने कहा, "भारत में 100 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली तेलुगु सुंदरता और वाक्पटुता की भाषा है.यह संगीत की तरह है, और आम लोग भी इसे काव्यात्मक अनुग्रह के साथ बोलते हैं. हमारी मातृभाषा, तेलुगु, अद्भुत है, और हमें इसे राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कभी भी दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिए."
भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के महत्व पर जोर देते हुए, न्यायमूर्ति रमण ने टिप्पणी की, "हम अपनी भाषा और परंपराओं की रक्षा करके ही महानता प्राप्त कर सकते हैं. अपनी भाषा के बिना एक राष्ट्र अनाथों के समूह की तरह है, खोया हुआ, जिसका कोई इतिहास या पहचान नहीं है. आइए हम सुनिश्चित करें कि हमारी संस्कृति और भाषा पीढ़ियों तक बनी रहे." न्यायमूर्ति रमण ने श्री श्री, अरुद्र, विश्वनाथ सत्यनारायण, सिनारे, भानुमति, सूर्यकांतम, जमुना, सावित्री, गुम्मादी, जग्गैया, अक्किनेनी, एनटीआर, रेलंगी, एसवीआर, घंटाशाला, मंगलमपल्ली बालमुरलीकृष्ण और एसपी बालसुब्रमण्यम जैसे महान कवियों, लेखकों और कलाकारों के योगदान को भी सम्मानित किया.
उन्होंने लोगों से इस समृद्ध विरासत को याद रखने और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का आह्वान किया. न्यायमूर्ति एनवी रमण ने निष्कर्ष निकाला, "भाषा केवल संचार का साधन नहीं है, यह हमारी पहचान का एक हिस्सा है. जैसे-जैसे हम विकास की ओर बढ़ते हैं, हमें अपनी भाषा और सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा करनी चाहिए.
रामोजी राव तेलुगु लेखकों के पीछे खड़े थे: बुद्ध प्रसाद
विश्व तेलुगु लेखक सम्मेलन में बुद्ध प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि लेखक बिना किसी राजनीतिक संबद्धता के तेलुगु राज्यों की प्रगति और विकास के लिए समर्पित हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन सभाओं का मुख्य उद्देश्य तेलुगु भाषा को संरक्षित करना है. बुद्ध प्रसाद ने तेलुगु में उनके योगदान के लिए रामोजी राव को याद करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने रामोजी राव को एक दूरदर्शी व्यक्ति बताया. उन्होंने कहा कि, रामोजी राव नहीं चाहते थे कि सार्वजनिक जीवन से भाषा लुप्त हो जाए.