इस्लामाबाद : इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की मांग के बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान की घरेलू नीतियों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक पीटीआई की ओर से मांग की गई थी कि किसी भी नए आर्थिक पैकेज प्रस्ताव को मंजूरी देने से पहले पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए चुनावों की समीक्षा की जाये.
हालांकि, आईएमएफ ने इस्लामाबाद को सभी विवादों का 'निष्पक्ष समाधान' करने के लिए प्रोत्साहित किया है. यह बात तब सामने आई है जब जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ को एक पत्र लिखा था, जिसमें वैश्विक ऋणदाता से इस्लामाबाद को कोई नया आर्थिक पैकेज देने से पहले चुनाव की समीक्षा करने की मांग की थी. इमरान खान ने आईएमएफ को लिखे पत्र में चिंता जाहिर की थी कि ऐसे देश को आप कर्ज देंगे तो उसे कौन लौटायेगा. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि वर्तमान सरकार को कर्ज देने से ऋण वापसी में दिक्कतें आयेंगी.
खान ने चेतावनी दी कि देश में पर्याप्त निवेश के बिना, ऋण का बोझ बढ़ता रहेगा, जो राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता को रेखांकित करता है. राजनीतिक मामलों में वैश्विक ऋणदाता को शामिल करने के पीटीआई के प्रयास पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, आईएमएफ के प्रवक्ता ने कहा कि आईएमएफ नव-निर्वाचित सरकार के साथ अगले मध्यम अवधि के कार्यक्रम पर बातचीत करने की तैयारी कर रही है. आईएमएफ के प्रवक्ता ने पीटीआई की ओर से लिखे गए पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आर्थिक मुद्दों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में आईएमएफ घरेलू राजनीतिक विकास पर टिप्पणी नहीं करता है.
आईएमएफ ने कहा कि उसे पीटीआई प्रवक्ता से एक पत्र मिला. उन्होंने चुनावों को 'विवादित' करार दिया है. पार्टी का दावा है कि उसने 92 सीटों के मुकाबले लगभग 177 सीटें जीती हैं, जिन्हें पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने नेशनल असेंबली के स्वतंत्र रूप से निर्वाचित सदस्यों के रूप में अधिसूचित किया था. पीटीआई ने चुनावों में धांधली के दस्तावेजी सबूत होने का भी दावा किया है और मांग की है कि आईएमएफ को जांच करने में भूमिका निभानी चाहिए.