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सांसदों-विधायकों के खिलाफ 2000 से अधिक मामले निपटाए गए: SC में दायर हलफनामा - SC MPs MLAs cases - SC MPS MLAS CASES

MPs MLAs 2000 criminal cases decided: सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामा में कहा गया है कि बीते वर्ष सांसदों और विधायकों के खिलाफ 2000 से अधिक आपराधिक मामलों का निपटान किया गया.

Supreme Court Case against MPs-MLAs in 2023
सुप्रीम कोर्ट 2023 में सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामला

By Sumit Saxena

Published : Apr 22, 2024, 12:23 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि सांसदों और विधायकों के संबंध में आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों ने 2023 में 2,000 से अधिक मामलों का फैसला किया. 2023 में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 1,746 नए आपराधिक मामले दर्ज किए गए. इस तरह कुल मिलाकर एक जनवरी 2024 तक सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4474 मामले लंबित हैं. इसके अलावा आपराधिक मामलों वाले लगभग 501 उम्मीदवार पहले दो चरणों में लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान की मांग की है. इसी मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया द्वारा एक हलफनामा दायर किया गया है. हलफनामे में कहा गया है कि 2023 में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 1,746 नए आपराधिक मामले दर्ज किए गए और एक जनवरी 2024 तक कुल 4,474 मामले लंबित हैं.

हलफनामे में कहा गया ?: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संबंधित हाईकोर्ट द्वारा कदम उठाए गए. विशेष अदालतों में सुनवाई हुई. इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में 2000 से अधिक मामलों का निपटान किया गया. हालाँकि बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं. इनमें से कई लंबी अवधि से लंबित हैं. हलफनामे में कहा गया है कि संबंधित हाईकोर्ट की सख्त निगरानी के तहत लंबित मुकदमों के शीघ्र फैसले और उनकी जांच के लिए अधिक निर्देशों की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि आपराधिक मामलों वाले लगभग 501 उम्मीदवार हैं जो पहले दो चरणों में लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

हलफनामे में गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स फॉर द लोकसभा चुनाव 2024 चरण I और चरण II' की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इन दोनों चरणों में कुल 2810 उम्मीदवार हैं. पहले चरण में 1618 उम्मीदवार और दूसरे चरण 1,192 उम्मीदवार हैं. इनमें से 501 यानी 18 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

इनमें से 327 यानी 12 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं. इन उम्मीदवारों के खिलाफ 5 साल और अधिक की कैद की सजा हो सकती है. इसमें आगे कहा गया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भी यही स्थिति थी. इसमें 7,928 उम्मीदवारों में से 1500 उम्मीदवारों यानी 19 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले थे. इनमें से 1070 उम्मीदवारों यानी 13 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले थे.

हालाँकि, 17वीं लोकसभा (2019-2024) के 514 निर्वाचित सदस्यों में से 225 सदस्यों यानी 44 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले थे. इस प्रकार आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों ने बिना आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की तुलना में अधिक सीटें जीती हैं. इस संदर्भ में यह आवश्यक है कि यह अदालत संबंधित उच्च न्यायालयों की सख्त निगरानी के तहत लंबित मुकदमों और जांच के शीघ्र निपटान के लिए आगे के आदेश पारित कर सके.

ऐसा हलफनामे में कहा गया है. हलफनामे में विभिन्न उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी के आधार पर एक सारणीबद्ध चार्ट शामिल था, जिसके तहत एक जनवरी 2023 तक सांसदों के खिलाफ 4,697 आपराधिक मामले थे और पिछले साल 2,018 मामलों में फैसला किया गया था. हलफनामे के अनुसार महाराष्ट्र ने एक जनवरी 2023 तक सांसदों और विधायकों के खिलाफ 476 मामलों में से 232 मामलों का निपटान किया. पश्चिम बंगाल में 26 में से 13, गुजरात 48 में से 30, कर्नाटक 226 में से 150, केरल 370 में से 132, बिहार में 525 मामलों में से 171 मामलों का फैसला हुआ.

उत्तर प्रदेश में 1,300 में से 766 मामले एक जनवरी 2023 तक विशेष अदालतों में निपटाए गए. दिल्ली में 2023 की शुरुआत में 105 मामले थे लेकिन 31 दिसंबर 2023 तक 103 मामले निपटाए गए. हंसारिया ने सांसदों के खिलाफ मामलों की सुनवाई की प्रगति पर वास्तविक समय की जानकारी अपलोड करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड की तर्ज पर एक मॉडल वेबसाइट बनाने का निर्देश देने की भी मांग की.

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