विजयवाड़ा : केंद्र ने बुधवार को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य में अवैध रेत खनन हो रहा है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने कहा कि विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीडीबी) ने पुष्टि की है कि रेत खनन कंपनियों में से एक जीसीकेसी प्रोजेक्ट्स एंड वर्क्स भारी मशीनरी तैनात करके अवैध रेत खनन में लिप्त है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, दक्षिणी बेंच के निर्देश पर एमओईएफसीसी और सीपीडीबी के अधिकारी रेत पहुंच का निरीक्षण करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं. एनजीटी की ओर से गठित समिति ने साक्ष्य के रूप में तस्वीरें और नकली बिल बुक भी एकत्र की थीं. एमओईएफसीसी ने अदालत को सूचित किया कि रिपोर्ट जल्द ही एनजीटी को सौंपी जाएगी.
केंद्र ने पिछले साल जीवीएसएस प्रसाद और पांच अन्य की ओर से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि भारी वाहनों में अवैध रूप से रेत का खनन और परिवहन किया जा रहा है. याचिका के मुताबिक, पालनाडु जिले के अमरावती मंडल के मुत्तैयापालेम गांव में जय प्रकाश वेंचर्स की ओर से पानी के प्रवाह को बाधित करने वाले रैंप का निर्माण किया जा रहा है.
याचिकाकर्ताओं की वकील जे. श्रीदेवी ने कहा कि सैकड़ों ट्रक रेत अवैध रूप से पड़ोसी राज्यों में ले जाया जा रहा है. वकील ने अदालत को यह भी बताया कि लेनदेन नकद में हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस कारोबार में कुछ स्थानीय विधायकों और सत्तारूढ़ दल के नेताओं के नियंत्रण में है.
एमिकस क्यूरी केएस मूर्ति ने अदालत को बताया कि राज्य में रेत खनन पर एक कंपनी का नियंत्रण है. उन्होंने कहा कि इब्राहिमपटनम में रेत की एक लॉरी 35,000 रुपये में बेची जा रही है. एमओईएफसीसी के वकील जे यज्ञदात ने कहा कि राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने एनजीटी के निर्देश पर 110 अनुमति रद्द करने के आदेश जारी किए थे. वकील ने कहा कि एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट को अदालत के समक्ष भी रखा जाएगा.