नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अग्रिम जमानत हासिल कर चुके एक व्यवसायी की पुलिस रिमांड को अदालत की घोर अवमानना करार देते हुए सोमवार को कहा कि वह गुजरात उच्च न्यायालय को दंडाधिकारियों (मजिस्ट्रेट) को उपयुक्त प्रशिक्षण देने के लिए कहेगा.
गुजरात के व्यवसायी की पुलिस रिमांड को लेकर अत्यधिक नाखुशी जाहिर करते हुए शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को व्यक्ति की अवमानना याचिका पर सूरत के कुछ पुलिस अधिकारियों और एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया.
शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि पिछले साल 8 दिसंबर को याचिकाकर्ता तुषारभाई रजनीकांतभाई शाह को अग्रिम जमानत दी गई थी, लेकिन उन्हें धोखाधड़ी के एक मामले में 13 से 16 दिसंबर 2023 तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
यह विषय न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष फिर से सुनवाई के लिए सोमवार को आया. कुछ प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने गलती की है. उन्होंने पीठ से कहा, 'यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसका बचाव किया जा सकता है या जिसका बचाव किया जाना चाहिए...यह स्पष्ट रूप से गलती का मामला है.'
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने का शीर्ष अदालत का 8 दिसंबर, 2023 का आदेश स्पष्ट था और इसे मजिस्ट्रेट और संबंधित पुलिस अधिकारियों के समक्ष भी रखा गया था.
शीर्ष अदालत ने कहा, 'हमें गुजरात उच्च न्यायालय से मजिस्ट्रेट को उचित प्रशिक्षण देने और राज्य सरकार से अपने अधिकारियों को उपयुक्त रूप से शिक्षित करने के लिए कहना होगा.'