चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने सोमवार को "भारत कैंसर जीनोम एटलस" का अनावरण किया, एक ऐसा कदम जिससे कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा और इस घातक रोग के लिए व्यक्तिगत उपचार के रास्ते खुलेंगे. आईआईटी मद्रास ने 2020 में इस महत्वाकांक्षी कैंसर जीनोम कार्यक्रम को शुरू किया था. इस पहल के तहत, देश भर से 480 स्तन कैंसर रोगियों के ऊतक के नमूनों का गहन विश्लेषण किया गया है, और 960 पूरे एक्सोम परीक्षण किए गए हैं.
संस्थान ने इस विस्तृत डेटाबेस को अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ बना दिया है. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि यह डेटा कैंसर के अंतर्निहित कारणों को गहराई से समझने और शुरुआती हस्तक्षेप रणनीतियों को लागू करने में मदद करेगा. यह एटलस भारत में विभिन्न कैंसर प्रकारों के जीनोमिक परिदृश्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."
प्रो. कामकोटी ने यह भी खुलासा किया कि भारतीय स्तन कैंसर जीनोम अनुक्रमण का कार्य कुशलतापूर्वक पूरा हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय स्तन कैंसर रोगियों में आनुवंशिक विविधताओं का एक व्यापक संग्रह तैयार हुआ है. उन्होंने आगे कहा, "इस संग्रह से रोग के शुरुआती पहचान, विकास को प्रभावित करने वाले कारकों और उपचार प्रतिक्रियाओं की हमारी समझ को गहरा करने में मदद मिलेगी."
इस शोध प्रयास में आईआईटी मद्रास ने मुंबई स्थित "कार्किनोस हेल्थकेयर," "चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक," और "कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट, चेन्नई" के साथ सहयोग किया. इन सहयोगी संस्थानों ने भारतीय स्तन कैंसर के नमूनों से आनुवंशिक विविधताओं का विश्लेषण और संकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत और विश्व स्तर पर कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर से जूझ रहे लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.