नई दिल्ली: ईरान और इजरायल संघर्ष (Iran Israel conflict) काफी गहराता जा रहा है. भारत इस स्थिति से निपटने के लिए प्रयासरत है. दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने और चौतरफा जंग के जोखिमों के बाद भी भारत ने दोनों तटस्थता का रूख अपनाया है. वह इसलिए क्योंकि भारत ईरान और इजरायल से अच्छे संबंधों को काफी महत्व देता है. अब नई दिल्ली इस संकट की घड़ी में क्या रूख अख्तियार करता है, यह सबसे महत्वपूर्ण है. अब सवाल है कि, क्या इलाके में चल रहे संघर्ष का असर भारत की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों पर पड़ेगा? भारत के पूर्व राजनियक अशोक सज्जनहार ने बताया कि, ईरान और इजरायल इस समय भारत के लिए बेहद चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि, नई दिल्ली इस पूरे मसले पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. भारत का ईरान और इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं. ईरान के साथ तो भारत का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध रहे हैं. जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था तो उस वक्त दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी में अस्थायी ठहराव के बाद भी ईरान भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. वहीं, दूसरी तरफ, ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइंस से अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन पर अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा.
ईरान-इजरायल संघर्ष और भारत
ईरान में चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा अफ्गानिस्तान, मध्य एशिया, रूस औक काकेशस इलाके के अन्य देशों के लिए आवश्यक एंट्री प्वाइंट है. भारत अलग-अलग आयामों पर ईरान के महत्व को पहचानता है. सज्जनहार बताते हैं, इसी तरह इजरायल और भारत के बीच भी काफी अच्छे संबंध हैं. उन्होंने आगे कहा कि, 'भारत ने 1992 में इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और तब से, दोनों देशों ने व्यापार, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, कृषि और नई प्रौद्योगिकी में अपने संबंधों का विस्तार किया है. रक्षा द्विपक्षीय संबंधों का एक अनिवार्य तत्व है, जो ईरान और इज़राइल दोनों को भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाता है. नई दिल्ली की सर्वोच्च प्राथमिकता दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट को रोकना और संघर्ष को बढ़ने से रोकना होगा. सज्जनहार ने यह भी चेतावनी दी कि यदि युद्ध छिड़ता है, तो संघर्ष क्षेत्र से भारतीय नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया में अधिक समस्या खड़ी हो सकती है. वैसे भारत को अब भी उम्मीद है कि स्थिति कूटनीतिक तरीके से सुलझ जाएगी और क्षेत्र में शांति कायम रहेगी.
दुनिया की इजरायल और ईरान पर नजर
वहीं विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 18 हजार से अधिक भारतीय कामगार इजरायल में काम कर रहे हैं. कई लोग पहले ही दोनों देशों के बीच फिलिस्तीनियों को उनके स्थान पर श्रमिकों को भेजने के लिए हस्ताक्षरित समझौते के तहत इज़राइल के लिए रवाना हो चुके हैं. वहीं, ईरान में 4000 से अधिक भारतीय रहते हैं. पूर्व राजनयिक सज्जनहार ने आगे बताया कि, हालांकि ईरान हमास, हूती और हिजबुल्लाह जैसे प्रतिनिधियों के माध्यम से इजरायल के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं. हालांकि, यह पहली बार है कि, ईरान ने पहली बार इजरायल पर हमला किया है. जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. ईरान-इजरायल संघर्ष ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन सहित कई देशों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. ये सभी देश इजरायल के पक्ष में खड़े होकर उनका बचाव कर रही है. इतना ही नहीं सऊदी अरब और यूएई ने हाल में ही ईरानी हमले के बारे में खुफिया जानकारी साझा की है. इसलिए यह स्पष्ट है कि इनमें से कोई भी देश जंग नहीं चाहता है, जिसकी वकालत लंबे समय से ईरान करता आ रहा है.
भारत ने जारी की एडवायजरी
वहीं दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच भारत ने अपने नागरिकों से ईरान और इजरायल की यात्रा से बचने की सलाह दी है. साथ ही दोनों देशों में पहले से रह रहे अपने नागरिकों से संघर्ष के समय खुद की सुरक्षा और भारतीय दूतावासों के संपर्क में रहने का निर्देश दिया है. हालांकि एडवायजरी जारी होने के एक दिन बाद, ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इजरायल द्वारा किए गए हमले का जवाब देते हुए ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया. भारत ने दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच तत्काल हिंसा पर रोक लाने, संयम बरतने और कूटनीति के माध्यम से समस्या का हल करने की सलाह दी है. वहीं दोनों देशों में स्थित भारतीय दूतावास संघर्ष की पल पल की खबरों पर बड़ी बारीकी से नजर बनाए हुए है. साथ ही दूतावास भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क है और लोगों के संपर्क में है.