शादी से पहले 'स्माइल डिजाइनिंग' की चिंता, जानें क्या होती है पूरी प्रक्रिया
What is Smile Designing Surgery : हाल के दिनों में स्माइल डिजाइनिंग को लेकर यूथ में क्रेज बढ़ा है. आइए समझते हैं आखिर क्या होती है इसकी पूरी प्रक्रिया. इसे जानने से पहले बता दें कि स्माइल डिजाइनिंग सर्जरी की प्रक्रिया से गुजरने के दौरान हैदराबाद में एक युवक की मौत हो गई. हैदराबाद की पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि 28 वर्षीय व्यक्ति की मुस्कान बढ़ाने की सर्जरी 'स्माइल डिजाइनिंग' प्रक्रिया के दौरान मौत हो गई. पीड़िता लक्ष्मी नारायण विंजाम की एक सप्ताह पहले सगाई हुई थी और अगले महीने उसकी शादी थी. इस घटना के बाद से 'स्माइल डिजाइनिंग' को लेकर तरह शंकाएं और सवाल उठ रहे हैं. पढ़ें इस बारे में पूरी रिपोर्ट...
हैदराबाद : पिछले हफ्ते हैदराबाद के एक व्यक्ति की अपनी शादी से पहले अपनी मुस्कान बढ़ाने के लिए की गई सर्जरी के दौरान मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि 16 फरवरी को हैदराबाद के जुबली हिल्स में एफएमएस इंटरनेशनल डेंटल क्लिनिक में 'स्माइल डिजाइनिंग' प्रक्रिया के दौरान 28 वर्षीय लक्ष्मी नारायण विंजाम की मृत्यु हो गई.
लक्ष्मी नारायण विंजाम के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी मौत एनेस्थीसिया के ओवरडोज से हुई है. रामुलु विंजाम ने कहा कि सर्जरी के दौरान उनके बेटे के बेहोश होने के बाद स्टाफ ने उन्हें फोन किया और क्लिनिक में आने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि हम उसे नजदीकी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
लक्ष्मी नारायण विंजाम. (फाइल फोटो)
उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने उन्हें सर्जरी की जानकारी नहीं दी थी. श्री विंजाम ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं थी, उनकी मौत के लिए डॉक्टर जिम्मेदार हैं. जुबली हिल्स के स्टेशन हाउस ऑफिसर के वेंकटेश्वर रेड्डी ने एनडीटीवी को बताया कि लक्ष्मी नारायण 16 फरवरी को दोपहर करीब 2:30 बजे क्लिनिक में आए थे.
रेड्डी ने कहा कि शाम करीब 4.30 बजे, उन्हें ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और प्रक्रिया लगभग दो घंटे तक चली. शाम करीब 7 बजे, उन्होंने उनके पिता को फोन किया और बाद में उन्हें जुबली हिल्स के अपोलो अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें 'डेड ऑन अराइवल' घोषित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. एक सप्ताह पहले ही लक्ष्मी नारायण की सगाई हुई थी और अगले महीने उनकी शादी होनी थी.
उनके परिवार की ओर से शिकायत दर्ज कराने के बाद लापरवाही के आरोप में क्लिनिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि हम अस्पताल के रिकॉर्ड और सुरक्षा कैमरे के फुटेज की जांच कर रहे हैं. एफएमएस इंटरनेशनल ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि यह 2017 के बाद से 55 से अधिक पुरस्कारों के साथ भारत में सबसे अधिक सम्मानित डेंटल क्लीनिकों में से एक है.
प्रतिकात्मक तस्वीर.
क्या है स्माइल मेकओवर की प्रक्रिया, कितना सुरक्षित है यह :जैसे ही हैदराबाद से यह खबर आयी. स्माइल मेकओवर को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह से सवाल उठने लगे. हालांकि, आमतौर से मेडिकल जर्नल्स में कहा गया कि स्माइल मेकओवर प्रक्रिया न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ सुरक्षित है. हालांकि, फिर भी अनुभव कॉस्मेटिक सर्जन इस बात की वकालत करते रहे हैं कि न्यूनतम खतरों के बाद भी क्लिनिक या सर्जन को आपात स्थिति से निपटने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार रखना चाहिए.
स्माइल मेकओवर या स्माइल डिजाइनिंग सर्जरी क्या है?:स्माइल यानी मुस्कान बदलाव में कुछ दंत चिकित्सा उपचार और प्रक्रियाएं शामिल होती हैं जो आपकी मुस्कान की उपस्थिति को बेहतर बनाने में मदद करती हैं. इसमें आमतौर पर दांतों को सफेद करना, वेनीर डेंटल बॉन्डिंग और प्रत्यारोपण जैसी सरल प्रक्रियाओं के साथ-साथ मसूड़ों और जबड़े की हड्डी से संबंधित जटिल प्रक्रियाएं शामिल होती हैं. इसके साथ ही इसमें ओरल-मैक्सिलोफेशियल सर्जरी को भी शामिल किया जाता है. चूंकि आपके होंठ आपकी मुस्कान को निर्धारित करते हैं. एक प्राकृतिक और आकर्षक मुस्कान के लिए दांतों और मसूड़ों को इन सीमाओं के भीतर अच्छी तरह फिट होना चाहिए.
एनेस्थीसिया की जरूरत :दूसरी तरह की सर्जरी किसी दुर्घटना या जटिल मौखिक कैंसर के बाद रिकंस्ट्रक्शन के लिए होती है. आम तौर से यह सर्जरी की प्रक्रिया पर निर्भर करता है. छोटी प्रक्रियाओं को स्थानीय एनेस्थीसिया के साथ पूरा किया जा सकता है. जटिल प्रक्रियाओं के लिए सामान्य एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या एनेस्थीसिया खतरनाक हो सकता है :जैसा की हैदराबाद के मामले में पीड़ित युवक के पिता ने आरोप लगाया है कि 16 फरवरी को हैदराबाद के जुबली हिल्स में एफएमएस इंटरनेशनल डेंटल क्लिनिक में एनेस्थीसिया की गलत खुराक के कारण उनके बेटे की मृत्यु हो गई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एनेस्थीसिया खतरनाक हो सकता है.
इस बारे में विशेषज्ञों की राय है कि एनेस्थीसिया जो की आम तौर से शरीर के अंग विशेष को सुन्न या पूरे शरीर को बेहोशी की हालत में लाने के लिए किया जाता है का इस्तेमाल बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए. इसका इस्तेमाल क्लिनिक में ना करते हुए आपात सुविधाओं से संपन्न अस्पताल में किया जाना चाहिए. भले ही एनेस्थीसिया के इस्तेमाल में गंभीर जोखिम की आशंका एक प्रतिशत से भी हो. लेकिन अनुचित तरीके से किये गये इस्तेमाल के कारण यह काफी जोखिम भरा हो सकता है.
विशेषज्ञों का मामना है कि कुछ मामलों में उचित तरीके से प्रशासित होने पर भी अनपेक्षित प्रतिक्रिया हो सकती है. स्थानीय एनेस्थेटिक्स की विषाक्तता केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकती है. कभी-कभी दोषपूर्ण इस्तेमाल के कारण एनेस्थेटिक खून में मिल जाता है जो हृदय प्रणाली को प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि कोई भी कॉस्मेटिक प्रक्रिया किसी प्रमाणित केंद्र से ही कराई जानी चाहिए.
स्माइल मेकओवर से पहले किन बातों का रखें ख्याल:
विज्ञापन के झांसे में ना आयें: आपकी स्माइल का मेकओवर आपकी दांतों की रेखीय स्थिति, उसके रंग, मसूड़ों के स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करता है.
प्रमाणिक अस्पाताल का चयन:स्माइल मेकओवर, जिसकी प्रक्रिया में किसी भर तरह के एनेस्थीसिया के इस्तेमाल की जरूरत हो के लिए किसी प्रमाणिक और प्रतिष्ठित अस्पताल का ही चयन करें. यह सुनिश्चित करें कि किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल में सुविधा और क्षमता है या नहीं.
सर्जन पर भरोसा करें : कोई भी अच्छा विशेषज्ञ सर्जन आपको आपकी वर्तमान स्थिति और सर्जरी के बाद उसमें कितना सुधार संभव है के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देगा. आपको उसपर भरोसा करना चाहिए. उससे सर्जरी के बाद होने वाले जोखिम के बारे में भी बात करें. स्थिति का पूरी तरह से आकलन करने के बाद ही सर्जरी के लिए तैयार हों.
प्री-ऑप परीक्षण को कभी ना टालें : प्री-ऑप परीक्षण का अर्थ होता है सर्जरी से पहले की जांच. इसमें चिकित्सक मरीज की पूरी जांच करते हैं. यह भी जांच करते हैं कि मरीज को कोई ऐसी बीमारी तो नहीं है सर्जरी के दौरान ज्यादा गंभीर रूप से सकती है या उसके जोखिम को बढ़ाती है. प्री-ऑप चेकअप में कुछ सर्जन तंत्रिका चालन अध्ययन (एनसीएस) पर जोर देते हैं जिसमें संभावित तंत्रिका क्षति के क्षेत्रों का पता लगाने के लिए चेहरे और सिर की मांसपेशियों पर एक हल्का विद्युत पल्स लगाया जाता है. एक सामान्य नियम के रूप में सर्जरी से पहले के दिनों में मरीजों को गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं (एनएसएआईडी) और एंटीकोआगुलंट्स (रक्त को पतला करने वाली दवाएं) से बचने के लिए कहते हैं.