नई दिल्ली: विपक्षी दल राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं. इंडिया अलायंस और दूसरे विपक्षी दल धनखड़ के कथित रूप पक्षपातपूरण रवैये से नाराज हैं. इससे पहले धनखड़ के रवैये को लेकर 9 अगस्त को सदन में हंगामा किया था, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विपक्ष ने दो दिन पहले सदन के नेता जेपी नड्डा को अनौपचारिक रूप से बताया है कि वे राज्यसभा चेयरमैन को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रहा है.
क्यों नाराज है विपक्ष?
विपक्ष का आरोप है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्यसभा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद किया जाता है. इतना ही नहीं सदन में न तो संसदीय नियम-कायदों का भी पालन किया जा रहा है. विपक्ष का यह भी आरोप है कि सदन में सांसदों पर व्यक्तिगत टिप्पणी की जा रही है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे (ANI) बता दें कि हाल ही में जगदीप धनखड़ समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के बीच उस समय तीखी बहस हो गई, जब जया बच्चन ने सभापति की टोन पर सवाल उठाया. इतना ही नहीं इसके बाद सोनिया गांधी के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने राज्यसभा से वॉकआउट भी कर दिया.
उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?
बता दें कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं. राज्यसभा को नियमों और परंपराओं के मुताबिक सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है. ऐसे में सवाल यह है कि उन्हें उनके पद से कैसे हटाया जा सकता है. गौरतलब है कि उन्हें राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाए.
जया बच्चन और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (ANI) संविधान के अनुच्छेद 67(B) में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और इस पर लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो तो इसके जरिए उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए कम से कम 14 दिनों का नोटिस देना होगा. तो क्या धनखड़ को पद से हटाया जा सकता है?
विपक्ष भले ही जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव ला रहा है, लेकिन उन्हें पद हटा पाना विपक्ष के लिए काफी मुश्किल है. वजह है राज्यसभा में विपक्ष के पास पर्याप्त संख्याबल का न होना. बता दें कि राज्यसभा में फिलहाल 225 सदस्य हैं और धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए 113 सदस्यों की सहमति को जरूरत है.
इस समय इंडिया ब्लॉक के पास 87 सदस्य हैं, जबकि बीजू जनता दल के 8 और वाईएसआर के 11 सदस्यों को भी इनमें जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 106 पहुंच जाएगी. वहीं, एनडीए के पास राज्यसभा में 110 सीट हैं. यानी साफ तौर पर विपक्ष के पास प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं हैं.
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