नई दिल्ली: फिक्स डिपॉजिट (FD) स्कीम पर आज भी निवेशकों का भरोसा कायम है. इतना ही नहीं निवेश के तमाम विकल्प होने के बावजूद एक्सपर्ट्स आज भी एफडी करवाने पर जोर देते हैं और इसे अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने के लिए कहते हैं. इसकी एक वजह है गारंटीड रिटर्न.
बता दें एफडी पर आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है. इसके अलावा आपको एफडी करवाने पर आपको अलग-अलग टेन्योर के ऑप्शंस भी मिलते हैं. हालांकि, अगर आप 5 साल से कम टेन्योर वाली एफडी करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई टैक्सेबल मानी जाती है.
जब फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्यादा हो, तो उसमें से TDS काट लिया जाता है. हालांकि, अगर आप चाहें तो आप इसे टैक्स को बचा सकते हैं. इसे बचाने के लिए बस आपको अपनी पत्नी की मदद लेनी होगी.
टीडीएस कटने से बचाएगी हाउस वाइफ
बता दें कि अगर एफडी पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई सालाना 40,000 रुपये से ज्यादा हो जाती तो टीडीएस कटता है. ऐसे में आपकी पत्नी हाउस वाइफ है तो आप पत्नी के नाम से एफडी करवाकर टीडीएस का पेमेंट करने से बच सकते हैं, क्योंकि हाउस वाइफ की टैक्स की देनदारी नहीं बनती है. इतना ही नहीं अगर आपकी पत्नी लोअर टैक्स ब्रैकेट में बी आती हैं, तो भी आप उनके नाम से एफडी करवाकर टीडीएस के तहत कटने वाली राशि को कटने से रोक सकते हैं.
भरना होगा फॉर्म 15G
अगर आप अपनी की मदद से टैक्स की राशि बचाना चाहते हैं तो आपकी पत्नी को सिर्फ फॉर्म 15G भरना होगा. अगर आप चाहें तो पत्नी के नाम से फुल एफडी करवाने के बजाय ज्वाइंट एफडी भी करवा सकते हैं. हालांकि, इसमें फर्स्ट होल्डर आपकी पत्नी ही होगी.
क्या है फॉर्म 15G?
फॉर्म 15G एक डिक्लेरेशन फॉर्म है. यह इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत सेक्शन 197A के सब सेक्शन 1 और 1(A) के अंडर आता है. इस फॉर्म के जरिए बैंक को आपकी सालाना आय के बारे में पता चलता है. इस फॉर्म के भरने के बाद अगर आपकी आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है, तो बैंक एफडी पर TDS नहीं काटता है.
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