चेन्नई (तमिलनाडु):चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी) की ओर से हाल ही में बंगाल की खाड़ी में एक मिशन चलाया गया. इसी दौरान वह एक वायुसेना के लापता विमान का पता लगाने में सफल रहा. ये विमान 2016 में लापता हो गया था. इस पर सवार 29 लोगों के परिवारों के लिए सबसे बड़ा गम ये था कि उन्हें अपनों के पार्थिव शरीर तक नहीं मिल सके थे.
हालांकि अब बमुश्किल 30 घंटों में एनआईओटी मिशन कुछ ऐसा हासिल करने में कामयाब रहा जो दर्जनों गहरे समुद्र के गोताखोरों, हवाई टीमों और अन्य खोज और बचाव मिशनों ने विमान लापता होने के बाद कई हफ्तों तक प्रयास किया था, लेकिन नहीं कर सके.
करीब सात साल पहले लापता हुए IAF An-32 का मलबा आखिरकार इस महीने की शुरुआत में एनआईओटी के OME (ओशन मिनरल एक्सप्लोरर) 6000, एक ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) को मिल गया. यह खोज समुद्री अन्वेषण और बचाव अभियानों में भारत की तकनीकी बढ़त की प्रतीक है.
2016 को क्या हुआ था? :वायुसेना के विमान एंटोनोव एएन-32 जिस पर 29 रक्षाकर्मी सवार थे, 22 जुलाई 2016 को रहस्यमय तरीके से बंगाल की खाड़ी में गायब हो गया था. An-32 एक टर्बोप्रॉप ट्विन-इंजन वाला सैन्य विमान है जो, प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी उड़ान भरने में सक्षम है.
'ऑप मिशन' पर विमान ने उस दिन सुबह लगभग 8.30 बजे चेन्नई के तांबरम वायु सेना स्टेशन से उड़ान भरी थी. इसे सुबह 11:45 बजे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में पहुंचना था. हालांकि, भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने सुबह करीब 9.15 बजे विमान से संपर्क खो दिया, जब यह चेन्नई से लगभग 280 किलोमीटर दूर था.
जहाज पर सवार 29 रक्षा कर्मियों में छह चालक दल के सदस्य, 11 भारतीय वायु सेना कर्मी, दो सैनिक और नौसेना आयुध डिपो से जुड़े आठ कर्मी शामिल थे. जैसे ही विमान के लापता होने की खबर फैली, रक्षा कर्मियों के परिवारों को उम्मीद थी कि उनके प्रियजन इस त्रासदी से बच गए होंगे.
इसके बाद An-32 के साथ जो हुआ उसका पता लगाने के लिए कई जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों को शामिल करते हुए अगले छह हफ्तों तक एक व्यापक खोज अभियान चलाया गया. 16 सितंबर 2016 को, अधिकारियों ने खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया. विमान में सवार 29 लोगों को मृत मान लिया गया और उनके परिवारों को सूचित कर दिया गया.
सात साल बाद NIOT के AUV को चेन्नई तट से 310 किमी दूर स्थित An-32 विमान का मलबा मिला. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एयूवी द्वारा खींची गई तस्वीरों की जांच से पता चला कि वे उसी विमान की थीं जो लापता हो गया था.
ओएमई 6000 ने मलबा कैसे ढूंढा ? ईटीवी भारत ने उन वैज्ञानिकों से बात की जो गहरे समुद्र में खोजी अभियान का हिस्सा थे और उन्हें ओएमई-6000, ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल के दृश्य देखने की अनुमति दी गई, जिसने एन32 मलबे का पता लगाया. नॉर्वे से आयातित OME-6000 हर गोता से पहले डेटा का उपयोग करके स्वायत्त रूप से संचालित होता है. 30 घंटे के प्रयास के बाद उसे मलबा मिला.
विमान के मलबे का पता लगाने में कामयाब रही ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) 6.6 मीटर लंबी और 0.875 मीटर चौड़ी है और इसका वजन लगभग 2 टन है. इसकी क्षमता 48 घंटे की है. यानी ये किसी मिशन में 48 घंटे तक लगातार काम करने में सक्षम है. इसकी यही खासियत विमान के मलबे का पता लगाने में महत्वपूर्ण साबित हुई.
एनआईओटी के वैज्ञानिक डॉ. एनआर रमेश के अनुसार, प्रमुख संस्थान को जीवित और निर्जीव संसाधनों की खोज और दोहन के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने का अधिकार है.
रमेश ने कहा कि 'समुद्र के नीचे उपलब्ध खनिजों की खोज के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के एक भाग के रूप में, एनआईओटी ने एक स्वायत्त अंडरवाटर वाहन विकसित किया है, जो 6,000 मीटर की गहराई तक जाने में सक्षम है.' एयूवी बंगाल की खाड़ी में अपने नियमित कार्य पर था जब उसकी नज़र आयताकार आकार में कुछ 'मानव निर्मित वस्तुओं' पर पड़ी.
डॉ. रमेश ने कहा, 'यूएवी ने बंगाल की खाड़ी में 3,400 मीटर की गहराई पर कुछ वस्तुओं का मजबूत प्रतिबिंब कैद किया. सोनार की छवियों का विश्लेषण करने पर हमें पता चला कि वे धातु की वस्तुएं हैं जो 2016 में खोए हुए विमान के हिस्से हो सकते हैं.' इस पर एनआईओटी ने आगे खोज का निर्णय लिया. एनआईओटी वैज्ञानिक ने कहा, 'हम वस्तुओं की तस्वीरें लेने के लिए समुद्र तल के करीब गए.'
अपनी खोज के प्रति आश्वस्त एनआईओटी ने निष्कर्षों की पुष्टि के लिए रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और भारतीय वायु सेना को तस्वीरें भेजीं. वैज्ञानिक ने कहा कि 'उन्होंने (एमओडी) पुष्टि की कि वे एएन-32 के हिस्से थे, जो 22 जुलाई 2016 को लापता हो गया था.'
ईटीवी भारत से बात करते हुए एनआईओटी के निदेशक जीए रामदास ने कहा कि संस्थान जीवित और निर्जीव दोनों तरह के समुद्री संसाधनों की खोज और संचयन के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास में शामिल है.