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Himachal Rajya Sabha Election: हिमाचल में हो गया 'खेला' ? नतीजों से पहले बीजेपी कॉन्फिडेंट, कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर

Himachal Rajya Sabha Election 2024: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है जबकि बीजेपी कह रही है कि गणित भले कांग्रेस के साथ हो लेकिन गणित बिगड़ते देर नहीं लगती. आखिर क्या है हिमाचल में राज्यसभा चुनाव का गुणा भाग, पढ़ें. कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर

हिमाचल राज्यसभा चुनाव
हिमाचल राज्यसभा चुनाव

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 27, 2024, 2:19 PM IST

शिमला: हिमाचल में राज्यसभा चुनाव को लेकर मतदान हो चुका है लेकिन नतीजों से पहले ही सियासी गलियारों में 'खेला' होने की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है. कल तक जो सीट सीधे-सीधे कांग्रेस की झोली में जाती दिख रही थी, वोटिंग के बाद उसे लेकर कांग्रेस के आला नेता भी असमंजस में दिखाई दे रहा है. दूसरी तरफ बीजेपी को क्रॉस वोटिंग के सहारे जीत का सहारा है.

किसे मिलेगा 35 विधायकों का साथ

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कुल 68 सदस्य हैं. इनमें से 40 विधायक कांग्रेस और 25 बीजेपी के हैं जबकि 3 निर्दलीय विधायक हैं. मंगलवार को सभी 68 विधायकों ने अपना वोट डाला है. हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट पर चुनाव हुआ है. इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवार को 35 विधायकों का वोट चाहिए.

हिमाचल विधानसभा में किसके कितने विधायक

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी को अपना कैंडिडेट बनाया. जबकि बीजेपी ने नामांकन के आखिरी दिन 15 फरवरी को हर्ष महाजन को अपना उम्मीदवार बनाया है. गौरतलब है कि हर्ष महाजन 4 दशक से भी ज्यादा वक्त तक कांग्रेस में रहे लेकिन पार्टी में अनदेखी के चलते उन्होंने 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का कमल थाम लिया था. वो 3 बार हिमाचल की चंबा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सबसे करीबियों में रहे हैं.

हिमाचल में राज्यसभा का गणित

हिमाचल प्रदेश में कुल 3 राज्यसभा सीटें है. इनमें से एक सीट खाली हो रही है. जिसपर मौजूदा समय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राज्यसभा सदस्य हैं. अप्रैल में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. मौजूदा गणित के हिसाब से ये सीट कांग्रेस को मिलना तय था लेकिन बीजेपी ने भी अपना उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया.

अभिषेक मनु सिंघवी vs हर्ष महाजन

बीजेपी कॉन्फिडेंट, कांग्रेस को डर

मंगलवार को हिमाचल विधानसभा में प्रदेश के सभी 68 विधायकों ने वोट डाला है. राज्य में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है लेकिन वोटिंग के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान 'खेला' होने की तरफ इशारा कर रहा है.

"अगर कोई कांग्रेस विधायक बिका नहीं होगा तो हमें 40 के 40 वोट आएंगे. निश्चित तौर पर मेरा ये मानना है कि कांग्रेस की विचारधारा और हाथ के निशान पर जो चुनकर आए हैं उन लोगों ने पार्टी को वोट डाला होगा, पार्टी के प्रत्याशी को वोट डाला होगा. शाम को काउंटिंग हैं तभी कुछ कह सकते हैं." - सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को बनाया उम्मीदवार

उधर बीजेपी के पास सिर्फ 25 विधायक हैं लेकिन वोटिंग से पहले ही वो कॉन्फिडेंट नजर आ रही है. भले बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन पाने के लिए एक राज्यसभा सीट है. पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर का वोटिंग के दौरान दिया ये बयान कुछ यही इशारा करता है.

"हम लोकतांत्रिक अधिकार का पालन कर रहे हैं. हमने उस अधिकार के तहत अपना कैंडिडेट उतारा है. हमेशा सर्वसम्मति से राज्यसभा सदस्य नहीं चुना जाता. हम उम्मीद करते हैं कि विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट देंगे. गणित के हिसाब से तो कांग्रेस के पास नंबर ज्यादा है लेकिन गणित बिगड़ते हुए वक्त नहीं लगता. हिमाचल सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है." - जयराम ठाकुर, नेता विपक्ष

"भारतीय जनता पार्टी में अंतरात्मा नाम की चीज नहीं है. वहां तो पैसों से अंतरात्मा चलती है. वोट अंतरात्मा पर नहीं, विचारधारा पर डाले जाते हैं. अगर कोई पार्टी के खिलाफ वोट डालता है तो कहीं ना कहीं उन्होंने कुछ सौदेबाजी की होती है."- सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

जयराम ठाकुर राज्यसभा चुनाव के दौरान पहले से ही कहते रहे हैं कि विधायकों को अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट करना चाहिए. दरअसल जयराम ठाकुर ने अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाने को लेकर सवाल कांग्रेस पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने हाइड्रो पावर कंपनियों पर वाटर सेस लगाने का ऐलान किया था और कंपनियां इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी. जहां अभिषेक मनु सिंघवी ने हिमाचल की कांग्रेस सरकार के खिलाफ केस लड़ा था. ऐसे में उन्हें उम्मीदवार बनाया गया जबकि हिमाचल में कांग्रेस के भी कई नेता हैं.

बीजेपी ने हर्ष महाजन को बनाया था उम्मीदवार

हिमाचल कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं

दरअसल देशभर के तमाम राज्यों में कांग्रेस में अंतर्कलह कोई नई बात नहीं है. हिमाचल प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही है. दिसंबर 2022 में राज्य में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार तो बन गई लेकिन सरकार हमेशा अपनों के निशाने पर रही है. बीते कुछ महीनों से धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा और सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं. मुख्यमंत्री को चुनाव के दौरान युवाओं, महिलाओं और हिमाचल की जनता से किए वादे याद दिलाए जा रहे हैं. ये दोनों ही नेता मंत्रीपद की रेस में भी माने जा रहे थे लेकिन अब तक इन्हें मंत्री की कुर्सी नहीं मिल पाई. हालांकि दोनों ही विधायक अब मंत्री बनने से भी इनकार कर चुके हैं.

सुधीर शर्मा तो कांग्रेस आलाकमान के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में ना जाने के फैसले पर भी सवाल उठा चुके हैं और वो 22 जनवरी को अयोध्या भी गए थे. हिमाचल सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी अयोध्या जाने वाली हस्तियों में शुमार थे. विभाग बदले जाने को लेकर विक्रमादित्य सिंह भी बीते दिनों मुख्यमंत्री से नाराज थे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी कार्यकर्ताओं और संगठन की अनदेखी का आरोप मुख्यमंत्री पर लगाती रही हैं. दरअसल सरकार के अहम पदों जैसे निगम और बोर्डों में तैनाती को लेकर भी संगठन में नाराजगी है. कुल मिलाकर हिमाचल कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और कांग्रेस सरकार से लेकर संगठन में चल रही नाराजगी के बीच बीजेपी अपना फायदा तलाश रही है.

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की परीक्षा

राज्यसभा के लिए वोटिंग का समय सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक रखा गया है. उसके बाद नतीजे घोषित हो जाएंगे. बीजेपी और कांग्रेस दोनों की धुकधुकी बढ़ी हुई है लेकिन क्रॉस वोटिंग के डर कांग्रेस को ज्यादा सता रहा है. क्योंकि भले कांग्रेस राज्यसभा चुनाव जीत जाए लेकिन एक या दो विधायकों की क्रॉस वोटिंग पार्टी की अंदरूनी कलह को फिर से जगजाहिर कर देगी जो उसे आगामी लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान पहुंचा सकती है.

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