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चिकित्सा जगत में बड़े बदलाव की उम्मीद! नए साल में भारत की स्थिति, जानें स्वास्थ्य विशेषज्ञ से - HEALTHCARE SECTOR IN 2025

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि, भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 101.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इधर स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि, भारतीय चिकित्सा जगत 2025 में परिवर्तनकारी विकास के शिखर पर होगा. ईटीवी भारत संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 28, 2024, 10:17 PM IST

Updated : Dec 28, 2024, 10:23 PM IST

नई दिल्ली: भारतीयचिकित्सा जगत 2025 में परिवर्तनकारी विकास के शिखर पर होगा. प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तामोरिश कोले ने इस बात का दावा किया. उन्होंने कहा कि, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र प्रौद्योगिकी में प्रगति, नीतिगत सुधारों और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के प्रति प्रतिबद्धता से प्रेरित है.

उन्होंने आगे कहा कि, "आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) जैसे कार्यक्रम अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं. साथ ही निवारक स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ऐसा करके हाशिए पर पड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. कोले ने कहा कि, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी से टेलीमेडिसिन, एआई और पहनने योग्य उपकरणों के माध्यम से शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के अंतर को पाटने की उम्मीद है.

अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन चिकित्सा संघ की नैदानिक अभ्यास समिति के अध्यक्ष कोले ने कहा कि, पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन जैसी बुनियादी ढांचा पहल टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने, असमानताओं को कम करने और उन्नत देखभाल तक पहुंच में सुधार करने के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को बेहतर बनाने और चिकित्सा शिक्षा का विस्तार करने के प्रयासों का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा कार्यबल को मजबूत करना है, इसे वैश्विक मानकों के साथ अलाइन करना है.

भारत की स्वास्थ्य सेवा रणनीति गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए निवारक और प्राथमिक देखभाल पर जोर देती है, जिसे टीकाकरण अभियान, पोषण कार्यक्रम और मानसिक स्वास्थ्य पहलों द्वारा समर्थित किया जाता है.

उन्होंने आगे कहा, "देश का चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र भी आगे बढ़ने के लिए तैयार है, जो विभिन्न विशेषताओं में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाले उपचार प्रदान करता है. आयुष के तहत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां आधुनिक स्वास्थ्य सेवा का पूरक होंगी, जो साक्ष्य-आधारित शोध द्वारा समर्थित समग्र देखभाल को बढ़ावा देंगी. स्थिरता भी एक प्राथमिकता है, जिसमें अस्पताल पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाते हैं. 2025 तक, भारतीय स्वास्थ्य सेवा से नवाचार, समावेशिता और लचीलेपन के लिए वैश्विक मानक स्थापित करने की उम्मीद है, जो एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करेगी जो अपनी आबादी की विविध आवश्यकताओं को पूरा करती है."

इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को जारी 2023-24 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि आयुष्मान भारत, यू-विन (सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम-विन), भारत का राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी), राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (चरण-वी), मिशन परिवार विकास, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम), राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनटीएमएचपी) सहित अन्य ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी सफलता दर्ज की है.

विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, टेली मानसिक स्वास्थ्य सहायता और राज्यों में नेटवर्किंग (टेली मानस) की घोषणा माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2022 में की थी. जिसमें स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की दक्षता और परिणाम में सुधार के लिए डिजिटल उपकरणों के उपयोग की वकालत की गई थी.

मंत्रालय ने कहा,16 दिसबंर 2024 तक, 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने टेली-मानस सेवाएं शुरू कर दी हैं और उनके पास 53 कार्यात्मक प्रकोष्ठ हैं. हेल्पलाइन नंबर पर 16,64,000 से अधिक कॉल संभाले गए हैं. सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों और उनके आश्रितों को टेली-मानसिक स्वास्थ्य सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी), पुणे में एक समर्पित टेली-मानस सेल भी स्थापित किया गया है."

भारत में चिकित्सा शिक्षा का जिक्र करते हुए मंत्रालय ने कहा कि, 2013 से14 में 387, 2024 से 25 में 780 (सरकारी- 431, प्राइवेट- 349) तक मेडिकल कॉलेजों में 101.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों में 2014 से पहले 51,348 से 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्तमान में यह 1,18,137 हो गई हैं. पीजी सीटों में भी 2014 से पहले 31,185 से 134.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अब 73,157 हो गई हैं.

मंत्रालय ने कहा, "नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत तीन चरणों में 157 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 131 कार्यरत हैं और शेष कुछ वर्षों में कार्यरत हो जाएंगे. इन 157 कॉलेजों में से 40 देश के आकांक्षी जिलों में बनाए जा रहे हैं, जिससे चिकित्सा शिक्षा में असमानता के मुद्दों का समाधान होगा."

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Last Updated : Dec 28, 2024, 10:23 PM IST

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