नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय ने 111 दवाओं को गुणवत्ता के अनुरूप नहीं माना है. नवंबर महीने में केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं के साथ-साथ राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं द्वारा विभिन्न दवा कंपनियों द्वारा निर्मित इन दवाओं को मानक गुणवत्ता (एनएसक्यू) के रूप में नहीं पाया गया है.
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "दवा नियामकों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की जा रही है कि इन दवाओं की पहचान की जाए और उन्हें बाजार से हटाया जाए."
मंत्रालय ने कहा कि नवंबर में केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने 41 दवा नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता के नहीं होने और राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 70 दवा नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता के नहीं होने के रूप में की है. कुछ दवाओं के नाम इस प्रकार हैं
- ग्लिमेप्राइड
- पियोग्लिटाज़ोन हाइड्रोक्लोराइड
- मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड (एक्सटेंडेट रिलीज़) टैबलेट (ओज़ोमेट-पीजी 2)
- ऊपर की तीनों दवाएं ओजोन फार्मास्यूटिकल्स, हिमाचल प्रदेश और पार ड्रग्स एंड केमिकल्स लिमिटेड, गुजरात द्वारा निर्मित हैं.
- प्रोमेथाज़िन इंजेक्शन आईपी 25 मिलीग्राम / एमएल - सिरेन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड महाराष्ट्र द्वारा निर्मित
- एस्पिरिन गैस्ट्रो - प्रतिरोधी टैबलेट आईपी 75 मिलीग्राम - यूनीक्योर इंडिया लि, नोएडा द्वारा निर्मित
- पैन्टोप्राजोल टैबलेट आईपी (ओपिपन -40)- ओरिसन फार्मा इंटरनेशनल, हिमाचल प्रदेश द्वारा निर्मित
- ज़िल्पैन - हेटेरो हेल्थकेयर लि. द्वारा निर्मित (असम)
- पैरासिटामोल टैबलेट आईपी 500 - मेसर्स ट्रोइका फॉर्मास्यूटिकल्स लि. द्वारा निर्मित, गुजरात
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "नकली दवाओं की सूची हर महीने सीडीएससीओ पोर्टल पर प्रदर्शित की जाती है. एनएसक्यू के रूप में दवा के नमूनों की पहचान एक या अन्य निर्दिष्ट गुणवत्ता मापदंडों में दवा के नमूने की विफलता के आधार पर की जाती है. विफलता सरकारी प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण किए गए बैच के दवा उत्पादों के लिए विशिष्ट है और यह बाजार में उपलब्ध अन्य दवा उत्पादों पर किसी भी चिंता की आवश्यकता नहीं है."