अलीगढ़: साकार विश्व हरि भोले बाबा का कार्यक्रम अलीगढ़ में भी हो चुका है. अलीगढ़ में करीब 6 बार उनका कार्यक्रम हुआ है. रामघाट रोड पर ताला नगरी इलाके में खाली प्लाट पर बाबा के सत्संग को लेकर काफी भीड़ जुड़ जाती थी. आसपास के जनपदों से साकार भोले बाबा के फॉलोअर यहां पहुंचते थे. सत्संग आयोजन से तीन-चार दिन पहले ही यहां तैयारी शुरू हो जाती थी. वहीं, साकार भोले बाबा के अपने वालंटियर होते थे. जो गुलाबी और पीले कपड़ें पहनते थे. जो पांडाल से लेकर सड़क तक सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते थे.
ताला नगरी में होने वाले कार्यक्रम में एक किलोमीटर की दूरी तक वॉलिंटियर (सेवादार) व्यवस्था संभालते थे. वॉलिंटियर यहां पूरे आयोजन को देखते थे. वहीं, सत्संग मंच पर बाबा के लिए एक अलग रास्ता बनाया जाता था. इसी रास्ते से बाबा मंच तक जाते थे. इस रास्ते पर और किसी को जाने की अनुमति नहीं थी. अलीगढ़ में जब कार्यक्रम ताला नगरी में होता था, तो यहां काफी जाम लग जाता था. ट्रैफिक पुलिस को भी इनके कार्यक्रम में पसीना बहाना पड़ता था.
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गुस्से से कांपते थे वॉलंटियर: बाबा के फॉलोअर अलीगढ़ के अलावा बदायूं, कासगंज, एटा, हाथरस, बुलंदशहर, आगरा आदि जिलों से आते थे. बाबा का काफिला जब पहुंचता था, वॉलिंटियर सड़क के दोनों ओर खड़े हो जाते थे और ट्रैफिक व्यवस्था संभालते थे. पानी पिलाने से लेकर साफ सफाई की व्यवस्था वालंटियर के हाथों में रहती थी. साकार भोले बाबा का असर इतना था, कि कही कोई बदइंतजामी दिखती थी, तो वह अपना गुस्सा ऐसा दिखाते थे, कि वॉलिंटियर कुछ बोल नहीं पाता था. ताला नगरी में ही एक बार साकार बाबा का माइक खराब होने पर रिटायर फौजी(वॉलंटियर) को ऐसा गुस्सा दिखाया कि वह कांपने लगा.
साकार भोले बाबा का काफिला जब सड़क पर निकलता था, तो उनके निजी सुरक्षा गार्ड कमांडो की तरह आगे चलते थे. सिर पर काला कपड़ा बांधकर और काले लिबास में उनकी ड्रेस होती थी. निजी सुरक्षा में ही बाबा सत्संग स्थल तक आते थे. वहीं उनके भक्तों में सरकारी कर्मचारी भी सत्संग में शामिल होते थे. बाबा अपना रुतबा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. अलीगढ़ के ताला नगरी में एक साल पहले जब सत्संग का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में हेलीकॉप्टर से गुलाब के फूलों की वर्षा होनी थी, लेकिन जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी.
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