फरीदाबाद:हरियाणा विधानसभा चुनाव की जंग चरम पर पहुंच चुकी है. जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे मुकाबला रोमांचक हो रहा है. सभी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में जनता को लुभाने में लगे हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है. इसलिए दोनों दल एक-एक सीट का समीकरण साधने में जुटी हैं. फरीदाबाद जिले की सभी 6 सीटों पर इस बार समीकरण बदल गये हैं.
2019 में फरीदाबाद में बजा बीजेपी का डंका
फरीदाबाद जिले में 6 विधानसभा सीटें आती हैं. पिछले चुनाव में 4 सीटें बीजेपी, एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के खाते में गईं थी. 2019 की बात करें तो इनमें से फरीदाबाद, बड़खल, बल्लभगढ़ और तिगांव सीट पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था. जबकि कांग्रेस केवल एनआईटी सीट ही जीत पाई थी. एक सीट पृथला पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. 2019 का समीकरण इस 2024 में बदल चुका है.
1. तिगांव में त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस के लिए बागी बने टेंशन
तिगांव सीट पर कांग्रेस ने ललित नागर का टिकट इस बार काट दिया है. उनकी जगह पर कांग्रेस ने युवा नेता रोहित नागर को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक राजेश नागर पर ही भरोसा जताते हुए टिकट दिया है. टिकट कटने से नाराज ललित नागर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ललित नागर के मैदान में उतरने से यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई में निर्दलीय ललित नागर आ गये हैं जो कि कांग्रेस के लिए नुकसानदायक है. इसलिए यहां पर बीजेपी के राजेश नागर की स्थिति फिलहाल मजबूत दिखाई दे रही है. हलांकि कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर राजनीतिक घराने से हैं. उनके पिता यशपाल नागर फरीदाबाद के पुराने नेता हैं.
तिगांव विधानसभा सीट पर हमेशा कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला देखा गया है. 2014 में यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी ललित नागर जीते थे लेकिन 2019 में वो बीजेपी के राजेश नागर से हार गये थे. 2019 के चुनाव में तिगांव विधानसभा की सीट पर 57.38 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसमें बीजेपी के राजेश नागर ने कांग्रेस के प्रत्याशी ललित नागर को 33 हजार 841 वोटों से हराया था. बीजेपी के राजेश नगर यहां से विधायक बनकर आए थे. लेकिन इस बार का चुनावी समीकरण कुछ अलग है.
2. बड़खल के रण में कौन भारी?
2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़खल सीट से सीमा त्रिखा का टिकट काट दिया है. उनकी जगह पर धनेश अदलखा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है. धनेश अदलखा दो बार पार्षद रह चुके हैं. उन्हें हरियाणा फार्मेसी काउंसिल का अध्यक्ष भी बनाया गया लेकिन इस दौरान इनके ऊपर रिश्वत लेकर लाइसेंस जारी करने का भी आरोप लगा. उस दौरान स्टेट विजिलेंस ने उनके ऊपर मामला भी दर्ज किया था और वो फरार हो गए थे. धनेश अदलखा को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णा पाल गुर्जर का करीबी माना जाता है.
बड़खल में कांग्रेस ने एक बार फिर पुराने नेता महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे विजय प्रताप सिंह को टिकट दिया है. मुख्य मुकाबला विजय प्रताप और बीजेपी के धनेश अदलखा के बीच दिखाई दे रहा है. लेकिन मौजूदा विधायक सीमा त्रिखा की नाराजगी बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि 2019 में विजय प्रताप महज 2545 वोट से ही हारे थे. इस बार भी करीबी मुकाबला हुआ तो बाजी कांग्रेस के हाथ जा सकती है.
3. फरीदाबाद सीट पर कांग्रेस-बीजेपी की सीधी टक्कर
फरीदाबाद सीट से बीजेपी ने पूर्व मंत्री और 2014 में विधायक रहे विपुल गोयल को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने 2019 में प्रत्याशी रहे लखन सिंगला को ही एक बार फिर टिकट दिया है. फरीदाबाद में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहेगा. 2019 में यहां से बीजेपी के नरेश गुप्ता ने कांग्रेस के लखन सिंगला को 21 हजार 713 वोट से हराया था. दोनों उम्मीदवार वैश्य समाज से आते हैं. फरीदाबाद सीट पर वैश्य वोट ज्यादा है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यहां पर बीजेपी ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है.