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फरीदाबाद में बदल गया है चुनावी समीकरण, पिछली बार बीजेपी ने जीती थीं 6 में 4 सीटें, एक क्लिक में जानिए जिले का हाल - Faridabad Seats Equation

By ETV Bharat Haryana Team

Published : 5 hours ago

Updated : 3 hours ago

Haryana Assembly Election 2024: फरीदाबाद में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं. 2019 में 4 पर बीजेपी को जीत मिली थी. वहीं एक निर्दलीय ने भी बीजेपी को ही समर्थन किया था. केवल एक कांग्रेस के खाते में आई थी. लेकिनइस बार समीकरण बदल गये हैं. आइये जानते हैं कि इस बार फरीदाबाद में क्या समीकरण बन रहे हैं.

Haryana Assembly Election 2024
फरीदाबाद में बदल गया है चुनावी समीकरण (Photo- ETV Bharat)

फरीदाबाद:हरियाणा विधानसभा चुनाव की जंग चरम पर पहुंच चुकी है. जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे मुकाबला रोमांचक हो रहा है. सभी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में जनता को लुभाने में लगे हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है. इसलिए दोनों दल एक-एक सीट का समीकरण साधने में जुटी हैं. फरीदाबाद जिले की सभी 6 सीटों पर इस बार समीकरण बदल गये हैं.

2019 में फरीदाबाद में बजा बीजेपी का डंका

फरीदाबाद जिले में 6 विधानसभा सीटें आती हैं. पिछले चुनाव में 4 सीटें बीजेपी, एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के खाते में गईं थी. 2019 की बात करें तो इनमें से फरीदाबाद, बड़खल, बल्लभगढ़ और तिगांव सीट पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था. जबकि कांग्रेस केवल एनआईटी सीट ही जीत पाई थी. एक सीट पृथला पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. 2019 का समीकरण इस 2024 में बदल चुका है.

1. तिगांव में त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस के लिए बागी बने टेंशन

तिगांव सीट पर कांग्रेस ने ललित नागर का टिकट इस बार काट दिया है. उनकी जगह पर कांग्रेस ने युवा नेता रोहित नागर को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक राजेश नागर पर ही भरोसा जताते हुए टिकट दिया है. टिकट कटने से नाराज ललित नागर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ललित नागर के मैदान में उतरने से यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई में निर्दलीय ललित नागर आ गये हैं जो कि कांग्रेस के लिए नुकसानदायक है. इसलिए यहां पर बीजेपी के राजेश नागर की स्थिति फिलहाल मजबूत दिखाई दे रही है. हलांकि कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर राजनीतिक घराने से हैं. उनके पिता यशपाल नागर फरीदाबाद के पुराने नेता हैं.

तिगांव विधानसभा सीट पर हमेशा कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला देखा गया है. 2014 में यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी ललित नागर जीते थे लेकिन 2019 में वो बीजेपी के राजेश नागर से हार गये थे. 2019 के चुनाव में तिगांव विधानसभा की सीट पर 57.38 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसमें बीजेपी के राजेश नागर ने कांग्रेस के प्रत्याशी ललित नागर को 33 हजार 841 वोटों से हराया था. बीजेपी के राजेश नगर यहां से विधायक बनकर आए थे. लेकिन इस बार का चुनावी समीकरण कुछ अलग है.

2. बड़खल के रण में कौन भारी?

2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़खल सीट से सीमा त्रिखा का टिकट काट दिया है. उनकी जगह पर धनेश अदलखा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है. धनेश अदलखा दो बार पार्षद रह चुके हैं. उन्हें हरियाणा फार्मेसी काउंसिल का अध्यक्ष भी बनाया गया लेकिन इस दौरान इनके ऊपर रिश्वत लेकर लाइसेंस जारी करने का भी आरोप लगा. उस दौरान स्टेट विजिलेंस ने उनके ऊपर मामला भी दर्ज किया था और वो फरार हो गए थे. धनेश अदलखा को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णा पाल गुर्जर का करीबी माना जाता है.

बड़खल में कांग्रेस ने एक बार फिर पुराने नेता महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे विजय प्रताप सिंह को टिकट दिया है. मुख्य मुकाबला विजय प्रताप और बीजेपी के धनेश अदलखा के बीच दिखाई दे रहा है. लेकिन मौजूदा विधायक सीमा त्रिखा की नाराजगी बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि 2019 में विजय प्रताप महज 2545 वोट से ही हारे थे. इस बार भी करीबी मुकाबला हुआ तो बाजी कांग्रेस के हाथ जा सकती है.

3. फरीदाबाद सीट पर कांग्रेस-बीजेपी की सीधी टक्कर

फरीदाबाद सीट से बीजेपी ने पूर्व मंत्री और 2014 में विधायक रहे विपुल गोयल को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने 2019 में प्रत्याशी रहे लखन सिंगला को ही एक बार फिर टिकट दिया है. फरीदाबाद में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहेगा. 2019 में यहां से बीजेपी के नरेश गुप्ता ने कांग्रेस के लखन सिंगला को 21 हजार 713 वोट से हराया था. दोनों उम्मीदवार वैश्य समाज से आते हैं. फरीदाबाद सीट पर वैश्य वोट ज्यादा है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यहां पर बीजेपी ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है.

4. फरीदाबाद NIT विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला

फरीदाबाद एनआईटी अकेली सीट है जिस पर 2019 में कांग्रेस को जीत मिली थी. वो भी कांग्रेस के नीरज शर्मा ने बीजेपी के नागेंद्र भड़ाना को 3242 वोट के मामूली अंतर से हराया था. बीजेपी ने एनआईटी सीट पर इस बार नागेंद्र भड़ाना का टिकट काटकर सतीश फागना को मैदान में उतारा है. बीजेपी से टिकट कटने से नाराज नागेंद्र भड़ाना इनेलो में शामिल हो गये हैं और इनेलो-बसपा गठबंधन के टिकट पर उम्मीदवार हैं. इसलिए इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक नागेंद्र भड़ाना बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए कांग्रेस यहां एक बार फिर मजबूत स्थिति में है.

5. बल्लभगढ़ में किसका बजेगा डंका?

बल्लभगढ़ सीट से कांग्रेस ने इस बार पराग शर्मा को टिकट दिया है जो कि पूर्व विधायक योगेश शर्मा की बेटी हैं. बीजेपी ने तीसरी बार कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा पर ही भरोसा जाता है. मूलचंद शर्मा पहली बार 2014 में विधानसभा चुनाव जीत कर आए थे. उसके बाद 2019 में भी उन्होंने जीत हासिल की और मंत्री बने. वहीं टिकट कटने से नाराज कांग्रेस की पूर्व विधायक शारदा राठौर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. इसलिए इस सीट पर भी मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है.

6. पृथला में नयनपाल रावत बने कांटा?

पृथला विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह सीट पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है. इस विधानसभा चुनाव में इस बार काफी रोमांचक मुकाबला होने की संभावना है. यहां भी त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है. बीजेपी ने पृथला से 2014 में बसपा से विधायक रहे टेकचंद शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने फिर से रघुवीर तेवतिया को टिकट दिया है. नयनपाल रावत 2019 में निर्दलीय चुनाव जीते थे. हलांकि बाद में उन्होंने पूरे 5 साल बीजेपी सरकार को अपना समर्थन दिया था. लेकिन नयनपाल रावत 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार थे. एक बार फिर नयनपाल रावत निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए एक बार फिर यहां पर तीन उम्मीदवारों के बीच लड़ाई दिखाई दे रही है.

फरीदाबाद में बागी बिगाड़ सकते हैं खेल

बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक बड़खल से सीमा त्रिखा, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता का टिकट काट दिया है. तो वहीं कांग्रेस ने भी अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक तिगांव विधानसभा क्षेत्र से ललित नागर और बल्लभगढ़ से पूर्व सीपीएस शारदा राठौर का टिकट काटा है. बीजेपी को 5 साल तक समर्थन देने वाले और टिकट पर दावेदारी करने वाले विधायक नयन पाल रावत को भी टिकट नहीं मिला. वो एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में डट गये हैं. यही वजह है कि फरीदाबाद की सभी सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी होने के आसार हैं. बीजेपी के लिए 2019 वाली जीत दोहराना मुश्किल हो सकता है.

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