नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद से ही हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. हालांकि पंजाब में सरकार बनाने के बाद से ही पार्टी की नजर हरियाणा पर थी, लेकिन जिस तरह से आप ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया, उसके बाद से भाजपा खासतौर पर शहरी और दलित वोटर्स को लेकर प्रचार की नई रणनीति बना रही है.
सूत्रों की मानें तो हरियाणा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी परेशान हैं. साथ ही टिकट बंटवारे के बाद जिस तरह से पार्टी में बगावत के सुर दिखे और चुनावी मैदान में कुछ अपने ही नेता उतर आए, उसे लेकर भी पार्टी ने अपने कैंपेन की रणनीति में कुछ बदलाव किया है.
अब पार्टी के नेता चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियां भी गिनवाएंगे, खासतौर पर पार्टी दलित वोटर्स को अपनी तरफ रिझाने के लिए भी मैनिफेस्टो में कई घोषणाएं कर सकती है.
हरियाणा में 21 प्रतिशत दलित वोट
भाजपा की नजर हरियाणा के 21 प्रतिशत दलित मतदाताओं पर है. दलित वोट बैंक खिसकने के कारण लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 5 सीटों का नुकसान हुआ था. अंबाला और सिरसा दोनों सुरक्षित सीटों पर भाजपा को हार मिली थी. राज्य में सत्ता विरोधी लहर का असर तो है ही, वहीं टिकट बंटवारे के कारण अपनों की नाराजगी भी बड़ी वजह है. पार्टी नेतृत्व को डर है कि कहीं बागी उनका गेम ना बिगाड़ दें. अगर ऐसा हुआ तो पार्टी को विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है.
लोकसभा में भाजपा को हरियाणा में जितना नुकसान हुआ, पार्टी उसकी भरपाई विधानसभा चुनाव में करना चाहती है. इसके अलावा भाजपा को दर है कि किसान आंदोलन, जाट आंदोलन और पहलवानों के आंदोलन का असर पार्टी के प्रदर्शन पर ना पड़ जाए.