वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट की कॉपी गुरुवार को पांच लोगों को मिल गई है. मुकदमे से संबंधित पक्षकारों ने गुरुवार को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था. इसके बाद रात करीब 9:00 बजे रिपोर्ट की कॉपी दोनों पक्ष को मिली. 839 पन्नों की रिपोर्ट में 15 ऐसे पन्ने हैं जो पूरी रिपोर्ट का कंक्लूजन है. जिसके बाद विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए फाइंडिंग्स का जिक्र किया.
एएसआई रिपोर्ट में क्या कहा गया
- ज्ञानवापी परिसर में 32 जगह ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बता रहे हैं कि मस्जिद नहीं मंदिर था.
- देवनागरी, ग्रंथा, तेलगू, कन्नड़ के इंस्क्रिप्शन (पुरालेख) मिले हैं. इसके अलावा जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के इंस्क्रिप्शन मिले हैं.
- रिपोर्ट में एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है. एएसआई का कहना है कि यह बहुत महत्वपूर्ण बात है जो साबित करता है कि यह पूरा स्ट्रक्चर मंदिर का है.
- एक पत्थर पाया गया जो टूटा हुआ था. जिसके बाद एएसआई ने जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया, जिसमें यह कहा गया है तत्कालीन आदि विश्वेशर मंदिर को 1669 में 2 सितंबर को ढहाया गया था. जो पहले के मंदिर के पिलर थे उनका इस्तेमाल बाद में मस्जिद निर्माण में किया गया.
- तहखाना S2 में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं.
- पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है, उसे आसानी से पहचाना जा सकता है.
- 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था, फिर उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया.
- तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थीं.
- एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे पुरालेख मिले हैं. इनमें तीन नामों का उल्लेख प्रमुखता से है- जनार्दन, रुद्र, उमेश्वर.
- पुरालेख बताते हैं कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी.