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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 1, 2024, 6:33 PM IST

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अब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर लें रोमांच का मजा, 1 अप्रैल से खुल गई गरतांग गली, ऐसे पहुंचे यहां - Gartang Gali Opens For Tourists

Gartang Gali Opened for Tourists: 11000 फीट की ऊंचाई पर भारत-तिब्बत बॉर्डर पर मौजूद उत्तरकाशी की गरतांग गली पर्यटकों के लिए खोल दी गई है. गंगोत्री नेशनल पार्क ने गरतांग गली के लिए मामूली शुल्क भी निर्धारित किया है.

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फोटो-ईटीवी भारत

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): भारत-चीन सीमा पर उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गरतांग गली (सीढ़ीनुमा रास्ता) पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. यह सीढ़ियां खड़ी जाड़ गंगा के ऊपर खड़ी चट्टानों पर बनाया गया है, जो 17वीं सदी की इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है. ये नायाब नमूना आज की आधुनिक इंजीनियरिंग को भी मात देता है. यहां पर पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य के साथ रोमांच का भरपूर तुत्फ उठा सकते हैं. साल 2021 में इस गली को पर्यटकों के लिए 59 सालों बाद खोला गया था.

व्यापार से जुड़ा है किस्सा:नेलांग घाटी में स्थित इसी गली से 1962 से पहले कभी भारत और तिब्बत के बीच व्यापार हुआ करता था. व्यापार के लिए पेशावर ये आए पठानों ने इस गली का निर्माण करवाया था. लेकिन, 1962 में भारत सरकार ने भारत-चीन युद्ध को देखते हुए इस गली को सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया था. इसके साथ ही उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही पर भी बैन लगा दिया गया था. उत्तरकाशी के नजदीकी गांव जादुंग और नेलांग को खाली कराकर उन्हें तब हर्षिल और बगोरी में बसाया गया था. गंगोत्री धाम से 11 किमी पूर्व भैरोंघाटी से जाड़ गंगा के किनारे से होकर गरतांग गली का रास्ता है.

150 मीटर लंबा है लकड़ी का सीढ़ीनुमा रास्ता

इस वजह से रहा खास:11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये गली करीब 140 साल पुरानी है. यहां खड़ी चट्टान में बनाया गया लकड़ी का सीढ़ीनुमा रास्ता जो 150 मीटर लंबा है. इसको इस तरह बनाने का ये कारण था कि तब उस पर घोड़े और खच्चर नहीं चल सकते थे इसलिए तब उस वक्त यहां पत्थर की चट्टान को काटकर दर्रा पार करने के लिए एक गली बनाई गई थी, जो भारत और तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार के काम आई. उत्तरकाशी में हर साल जनवरी में माघ पर्व मनाया जाता है. बताते हैं कि तब तिब्बत के लोग इस पर्व में आकर गर्म ऊनी कपड़ों के बदले तेल, नमक, चीनी और गुड़ ले जाया करते थे, जो 1962 के बाद बंद हो गया.

ऐसे मिलेगा गरतांगगली जाने की अनुमति:गरतांग गली उत्तरकाशी के जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है. जाड गंगा भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ती है. गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में अंतर्गत आने वालीचीन सीमा पर स्थित ये गरतांग गली 1 अप्रैल से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है. साथ ही इसके दीदार को गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन ने शुल्क निर्धारित कर रखा है.

गंगोत्री नेशनल पार्क करता है गरतांग गली की देखरेख

64 करोड़ में हुआ है पुनर्निर्माण कार्य:गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक रंगनाथ पांडे ने बताया कि पार्क क्षेत्र में प्रवेश के लिए जो शुल्क निर्धारित है, वही गरतांग गली के लिए भी रखा गया है. यानी भारतीय पर्यटकों को 150 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 600 रुपये के हिसाब से शुल्क देना होगा. उन्होंने बताया कि गरतांग गली जाने के लिए उत्तरकाशी कोटबंगला स्थित पार्क के कार्यालय और भैरव घाटी बैरियर पर अभी फिलहाल सिर्फ ऑफलाइन अनुमति मिलेगी. इससे पहले भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रही इंजीनियरिंग का नायाब नमूना इस ऐतिहासिक गरतांग का पुनर्निर्माण कार्य जुलाई 2021 में करीब 64 करोड़ की लागत से पूरा किया गया था.

पर्यटकों के लिए खुली गरतांग गली.

कैसे पहुंचें गरतांग गली: देहरादून तक ट्रेन या वायुमार्ग तक आने की सुविधा है. निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो उत्तरकाशी से करीब 180 किमी की दूरी पर है. यहां से सड़क मार्ग से होते हुए उत्तरकाशी जिला मुख्यालय तक पहुंचना होगा. राज्य परिवहन की बसें नियमित रूप से उत्तरकाशी और ऋषिकेश के बीच चलती हैं. उत्तरकाशी से लंका पुल तक करीब 88 किमी तक सड़क मार्ग का सफर है. लंका पुल से करीब एक किमी पैदल ट्रेक के बाद गरतांग गली शुरू होती है.

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