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पूर्व SCBA अध्यक्ष ने जज की लाइब्रेरी को म्यूजियम में बदलने के फैसले पर आपत्ति जताई - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने सीजेआई को पत्र लिखकर कोर्ट परिसर में बनी लाइब्रेरी को म्यूजियम बनाने के फैसले पर आपत्ति जताई.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (IANS)

By Sumit Saxena

Published : Nov 7, 2024, 1:28 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर जजों की पुरानी लाइब्रेरी को म्यूजियम में बदलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. सीजेआई ने गुरुवार सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार का उद्घाटन किया. इस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और कई वकीलों ने भाग लिया. सीजेआई 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे.

सिंह ने बुधवार को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट में बुनियादी ढांचे और संसाधन आवंटन से संबंधित हाल के घटनाक्रमों पर 'गहरी पीड़ा' व्यक्त की. पुराने जजों के पुस्तकालय को परिवर्तित करके राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार बनाया गया है. सिंह ने कहा कि इन निर्णयों में बार के सदस्यों की आवश्यकताओं को व्यवस्थित रूप से अनदेखा किया गया.

उन्होंने कहा,'हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जजों की लाइब्रेरी को संग्रहालय में बदलने का फैसला किया, इस तथ्य के बावजूद कि जजों की लाइब्रेरी उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में स्थित है. यहां सार्वजनिक पहुंच इसे अनुपयुक्त बनाती है. यह निर्णय बार की जरूरतों पर विचार करने में विफल रहता है, जिसकी संख्या पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है.'

सिंह ने कहा कि दुर्भाग्य से हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के न्यायालय कक्षों के पास बार के उपयोग के लिए कोई सुलभ स्थान आवंटित नहीं किया गया है. पत्र में कहा गया, 'इसके बजाय, प्रदान किए गए स्थान या तो न्यायालय कक्षों से बहुत दूर हैं या अलग-अलग मंजिलों पर स्थित हैं जो बार के सदस्यों के लिए अव्यावहारिक और असुविधाजनक है.'

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि एससीबीए की सदस्यता में वृद्धि हो रही है और इसके कार्यों के समर्थन के लिए आवश्यक सुविधाओं की तत्काल आवश्यकता है. इन परिस्थितियों में जज लाइब्रेरी को संग्रहालय में परिवर्तित करना सदस्यों को उनकी उचित सुविधाओं से वंचित करना है.

पत्र में कहा गया, 'इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि बार इस संस्था में उतना ही हितधारक है जो राष्ट्र के लिए लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में कार्य करता है और सार्वजनिक धन से कायम है. इसलिए इस प्रतिष्ठित संस्था की जिम्मेदारी है कि वह अपने सभी हितधारकों की जरूरतों को पूरा करे.'

सिंह ने कहा कि बार को तत्काल अधिक सहयोगात्मक बैठक स्थलों की आवश्यकता है जहां वकील अपने सहकर्मियों के साथ मामलों पर चर्चा कर सकें विशेष रूप से जटिल मामलों के लिए जिनमें टीम सहयोग की आवश्यकता होती है. सिंह ने पत्र में कहा,'मैं सुप्रीम कोर्ट से बार की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर हाल के निर्णयों पर पुनर्विचार करने का सम्मानपूर्वक आग्रह करता हूं.'

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