सुप्रीम कोर्ट ने SBI को सभी चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया
Electoral Bonds hearing in SC: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में सोमवार को एसबीआई फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई चुनावी बॉन्ड मामले में सुनवाई
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एसबीआई को चुनावी बॉन्ड के सभी विवरण चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया. साथ ही 21 मार्च तक चेयरमैन के अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि बॉन्ड संख्या प्राप्त होने के बाद, भारत का चुनाव आयोग तुरंत अपनी वेबसाइट पर विवरण डाल देगा.
शीर्ष अदालत ने एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से पहले खरीदे और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के बारे में जानकारी का खुलासा करने का आदेश देने की याचिका पर भी विचार करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को चुनावी बॉन्ड के संबंध में सभी विवरणों का खुलासा करने की आवश्यकता है. अदालत ने साफ किया कि बॉन्ड के संबंध में जानकारी में अल्फान्यूमेरिक नंबर और सीरियल नंबर यदि कोई हो जिन्हें भुनाया गया इसमें दर्शाया जाएगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि एसबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सभी विवरणों का खुलासा करने में एसबीआई की ओर से कोई आपत्ति नहीं है. पीठ ने भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए कहा, 'हम एसबीआई चेयरमैन को गुरुवार शाम 5 बजे तक एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं.
इसमें यह दर्शाया जाए कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के सभी विवरणों का खुलासा किया है जो उसके पास थे. साथ ही कोई भी विवरण छिपाया नहीं गया हो. शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग एसबीआई से प्राप्त सभी जानकारी अपलोड करेगा. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एसबीआई के वकील को स्पष्ट किया कि अदालत नहीं चाहती कि बांड के संबंध में कोई भी जानकारी छिपाई जाए.
सीजेआई ने कहा, 'हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है.' शीर्ष अदालत चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए दान के संबंध में एसबीआई द्वारा प्रदान किए गए अधूरे डेटा के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और बैंक को पिछले पांच वर्षों में किए गए दान को लेकर सभी विवरण साझा करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले एसबीआई को नोटिस भेजकर कहा था कि चुनावी बॉन्ड पर दिया गया डेटा अधूरा है.