नई दिल्ली: स्वदेशी स्रोतों के माध्यम से कोयले की भविष्य की मांग को पूरा करने और कोयले के गैर-जरूरी आयात को कम करने के लिए, अगले कुछ वर्षों में घरेलू कोयला उत्पादन में सालाना 6-7 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2029-30 तक लगभग 1.5 बिलियन टन तक पहुंच जाएगा. कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को संसद में यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि देश में कोयले की ज्यादातर मांग स्वदेशी उत्पादन और आपूर्ति के जरिये से पूरी की जाती है. केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने कहा, "कोयले की वास्तविक मांग 2022-23 में 1115.04 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 1237.54 मिलियन टन (एमटी) हो गई. कोयले की बढ़ी हुई मांग के मुकाबले घरेलू कोयला उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है. 2023-24 में घरेलू कोयला उत्पादन 11.71 बढ़कर 2022-23 में 893.19 मीट्रिक टन से 997.83 मीट्रिक टन तक पहुंच गया."
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार, पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष 2024-25 (अप्रैल से नवंबर, 2024) के दौरान देश में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से वास्तविक बिजली उत्पादन, कुल उत्पादन और कोयला आधारित उत्पादन के योगदान में भी वृद्धि देखी गई है.
आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में कुल बिजली उत्पादन 1420.91 बिलियन यूनिट (बीयू) था, जिसमें कोयला आधारित बिजली उत्पादन 1145.91 बीयू था. 2023-24 के दौरान कुल बिजली उत्पादन 1513.26 बीयू था, जिसमें कोयला आधारित बिजली उत्पादन 1260.90 बीयू था.
चालू वर्ष 2024-25 में नवंबर तक कुल बिजली उत्पादन 1069.29 बीयू था. जिसमें से कम से कम 83.65 प्रतिशत (860.76 बीयू) कोयले से उत्पन्न की गई.