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एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने बच्चे के बेडौल सिर को दिया सही आकार, देश में पहली बार डेढ़ माह के शिशु पर हुई ये सर्जरी - AIIMS Rishikesh - AIIMS RISHIKESH

New technique of surgery in AIIMS Rishikesh यदि किसी नवजात बच्चे का सिर जन्म के समय से ही टेढ़ा-मेढ़ा अथवा अविकसित स्थिति में है, तो घबराइए नहीं. एम्स ऋषिकेश में इसका इलाज उपलब्ध है. स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनियोप्लास्टी तकनीक से संस्थान ने डेढ़ माह के एक बच्चे के सिर को नया आकार प्रदान किया है. भारत में एम्स ऋषिकेश ही एकमात्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां इलाज की यह सुविधा उपलब्ध है.

AIIMS Rishikesh
एम्स समाचार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 4, 2024, 8:48 AM IST

Updated : Apr 4, 2024, 11:46 AM IST

ऋषिकेश: स्वास्थ्य सुविधाओं और इलाज की नवीनतम तकनीकों के मामले में एम्स ऋषिकेश लगातार नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. हाल ही में यहां एक ऐसे नवजात बच्चे के सिर की सर्जरी की गई है, जिसका सिर गोल आकार में न होकर बेडौल था. यह बच्चा हरिद्वार का रहने वाला है. इसका जन्म भी एम्स ऋषिकेश में ही हुआ है.

डेढ़ माह के बच्चे का टेढ़ा सिर किया सीधा: एम्स ऋषिकेश के प्लास्टिक सर्जरी और पुनर्निमाण विभाग ने न्यूरो सर्जरी और एनेस्थेसिया विभाग के साथ टीम वर्क से यह चमत्कार कर दिखाया है. आमतौर पर यह सर्जरी न्यूनतम 4 महीने के शिशु की ही जाती है. लेकिन डेढ़ महीने के बच्चे के सिर की सर्जरी कर, उसके बेडौल सिर को सामान्य आकार देने का यह पहला मामला है. मेडिकल क्षेत्र में इस तकनीक को स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनियोप्लास्टी कहा जाता है.

कपालीय स्प्रिंग सर्जरी: बर्न एवं प्लास्टिक चिकित्सा विभाग की सर्जन डाॅ. देवब्रती चटोपाध्याय ने बताया कि स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनियोप्लास्टी, शैशव अवस्था से बच्चे के असामान्य (संकीर्ण, लंबा, तिरछा अथवा बेडौल) सिर के आकार को सुविकसित करने के लिए किया जाता है. यह प्रक्रिया मस्तिष्क की क्षति को बेहतर ढंग से बचाने और अविकसित सिर की मरम्मत करने में विशेष कारगर है. डाॅ. देवब्रती ने बताया कि इसे कपालीय स्प्रिंग सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है.

सर्जरी नहीं होती तो दिमाग विकसित होने में दिक्कत होती: सर्जरी टीम में शामिल रहे न्यूरो सर्जन और न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड प्रो. रजनीश अरोड़ा ने बताया कि इस बच्चे के सिर का साइज बहुत छोटा और बेडौल किस्म का था. यदि यह सर्जरी नहीं की जाती तो उम्र बढ़ने पर उसके सिर और मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता. उन्होंने बताया कि चूंकि यह सर्जरी सिर (कपाल) के उस भाग को भी प्रभावित करती है, जहां हमारा मस्तिष्क अथवा दिमाग होता है. इसलिए यह सर्जरी बेहद संवेदनशील और जोखिम भरी थी. चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने इसे तकनीक युक्त सर्जरी के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया और सर्जरी में शामिल रहे डाॅक्टरों की टीम की सराहना की.

क्या है स्प्रिंग्स असिस्टेड क्रियोनेप्लास्टी ?बर्न एवं प्लास्टिक शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. विशाल मागो बताते हैं कि नवजात बच्चों के सिर की सर्जरी की यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खोपड़ी के अंतर को चौड़ा करने के लिए सिर में छोटे चीरे लगाकर वहां स्टेनलेस स्टील स्प्रिंग्स फिट कर दी जाती हैं. ताकि मस्तिष्क को बढ़ने के लिए जगह मिल सके. स्प्रिंग खुलने पर कुछ महीनों बाद वहां नई हड्डी बन जाती है और शिशु के सिर को एक नया स्वरूप मिल जाता है. इस सर्जरी में सिर की त्वचा को घुलनशील टांकों से बंद कर दिया जाता है और बाद में टांके हटाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

सराहनीय कार्य कर रहे एम्स के डॉक्टर: प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, एनेस्थीसिया और बाल रोग विशेषज्ञों की संयुक्त टीम के नेतृत्व में एम्स ऋषिकेश ने स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनियोप्लास्टी तकनीक के साथ असाधारण परिणाम प्रदर्शित किए हैं. संस्थान का लक्ष्य है कि अपनी विशेषज्ञता और अनुभव को साझा करके जटिल बीमारियों की दुर्लभ स्थिति और इनके इलाज में नई मेडिकल तकनीकों को उपयोग करने हेतु लोगों में जागरूकता लाई जाए. इससे देशभर के रोगियों को लाभ होगा. टीम में शामिल रहे सभी चिकित्सकों का कार्य सराहनीय है. एम्स प्रशासन का कहना है कि ऋषिकेश एम्स ही देश में एकमात्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां इस तरह के इलाज की सुविधा उपलब्ध है.
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Last Updated : Apr 4, 2024, 11:46 AM IST

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