नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने यहां पर जीत का परचम लहराया है. वहीं 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा ने 48 सीटों पर कब्जा जमाया है. इस चुनाव की जीत में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अहम भूमिका अदा की है.
हालांकि जीत हासिल करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रचार अभियान की कमान संभाल रखी थी. वहीं पीएम मोदी की भी कई रैलियां आयोजित की गईं. इसके अलावा भाजपा के स्टार प्रचारकों के साथ सभी ने मिलकर जीत की पटकथा लिखी. दूसरी तरफ आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आप के पिछले 10 साल के शासन का भी यह लिटमस टेस्ट था, जिसमें वह फेल हो गए.
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा को झटका लगा था, उसे पार्टी के लिए पचा पाना कठिन हो रहा था. हालांकि एनडीए को भले ही पूर्ण बहुमत मिल गया, लेकिन भाजपा अकेले बहुमत का आंकड़ा नहीं पार कर सकी थी. भाजपा ने इसके बाद इसकी समीक्षा की. क्योंकि भाजपा लोकसभा चुनाव के दौरान 400 सीट पर विजय हासिल करने का दावा कर रही थी, लेकिन इसमें वह सफल नहीं पाई.
लोकसभा के नतीजे के बाद विपक्ष के द्वारा कहा जाने लगा कि अब पीएम मोदी की कोई लहर नहीं है. इसके अलावा भाजपा की गाड़ी भी अब पटरी से उतरने वाली है. वहीं झारखंड और जम्मू कश्मीर को छोड़ दें तो भाजपा ने विधानसभा चुनाव में शानदार वापसी की.
हरियाणा में शानदार जीत के बाद महाराष्ट्र में मिली अविश्वसनीय विक्ट्री ने यह साबित कर दिया कि पीएम मोदी का लहर बरकरार है. हालांकि, हरियाणा और महाराष्ट्र की ही तरह लोकसभा चुनाव में दिल्ली के लोगों ने भाजपा को नहीं नकारा था. यहां पर भाजपा ने 7 में से 7 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.
फिर भी हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद सभी को यह जिज्ञासा थी कि लोकसभा चुनाव के दौरान इन दोनों ही राज्यों में एनडीए उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, इसके क्या कारण थे. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का दोनों ही राज्यों में अच्छा जनसमर्थन मिला था. वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में जहां एनडीए को महाराष्ट्र में 48 में से 17 सीटें मिली थीं. जबकि हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में भाजपा ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. बावजूद इसके भाजपा ने विधानसभा चुनाव में दोनों ही राज्यों में जीत का परचम लहराया.
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 48 सीटें जीतीं. वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में महायुति 235 सीटें पर विजयश्री हासिल करने में सफल रही. इतना ही नहीं इस बारे में दोने ही राज्य में सर्वे किए जाने पर दोनों ही राज्यों के लोगों में पीएम मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं देखी गई.
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर संविधान बदलने को लेकर जो अभियान चलाया था वह तब तो काम कर गया, लेकिन, विधानसभा चुनाव में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. दोनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव में विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे के रूप में नजर आए राहुल गांधी के प्रति लोगों के मन में विश्वास की कमी दिखी.
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