देहरादूनःमॉनसून ने उत्तराखंड चारधाम यात्रा की रफ्तार धीमी कर दी है. मॉनसून से पहले रोजाना तकरीबन 50 से 60 हजार श्रद्धालु चारधाम यात्रा कर रहे थे. लेकिन अब आंकड़ा महज 7 से 9 हजार श्रद्धालुओं के करीब पहुंच चुका है. लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण कुछ यात्री ऋषिकेश से ही वापस घर के लिए लौट रहे हैं. जबकि कुछ बारिश रुकने का इंतजार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 15 जुलाई को चारों धामों और हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्रियों की संख्या महज 7948 थी.
बारिश का डर से पहाड़ नहीं चढ़ रहे पर्यटक और भक्त:मॉनसून में भूस्खलन की घटनाओं के कारण चारधाम तीर्थ यात्री ऋषिकेश से ऊपर चढ़ने से भी कतरा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है. बल्कि नैनीताल से लेकर ऋषिकेश जैसे पर्यटक स्थलों में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी भारी कमी देखी जा रही है. इसके अलावा ऋषिकेश और नैनीताल में होने वाली राफ्टिंग पर भी रोक लगा दी गई है.
दरअसल, मॉनसून के दौरान पहाड़ों में भूस्खलन और नदी नाले उफान पर आ जाते हैं. इससे पर्यटक अंजान होते हैं और कई बार पर्यटक अंजान होने के कारण अपनी जान को खतरे में डाल देते हैं. इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन भी यही चाहता है कि मॉनसून सीजन में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की संख्या उत्तराखंड में कम रहे.
वहीं, बीते दिनों बारिश और भूस्खलन के कारण तीन दिन बदरीनाथ नेशनल हाईवे बंद रहा. इससे भी चारधाम तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी कमी आई है. 11 जुलाई को मार्ग बंद होने के दौरान चारधाम में लगभग 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद थे. लेकिन सड़क बंद होने के बाद यह संख्या निरंतर कम होती चली गई हालांकि, अभी बारिश से उत्तराखंड के चार धामों में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है. जो श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं, वह आराम से अपनी यात्रा कर रहे हैं. लेकिन साल 2013 की आपदा के बाद से उत्तराखंड की चारधाम यात्रा मॉनसून के दौरान फीकी रहती है.