नई दिल्ली: ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने सोमवार को कहा कि विदेशों में टेस्ट की गई नई दवाओं के लिए भारत में क्लीनिकल ट्रायल से छूट के कारण मरीजों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा होती हैं और स्थानीय उद्योग को नुकसान पहुंचता है. जीटीआरआई ने कहा कि स्थानीय नैदानिक परीक्षणों से छूट के निर्णय से स्वास्थ्य सेवा पेशेवर, मरीजों का समर्थन करने वाले समूह और कुछ नियामक विशेषज्ञ चिंतित हैं. स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों का कहना है कि स्थानीय ट्रायल डेटा के बिना दवाओं का इस्तेमाल जोखिम भरा हो सकता है, विशेष रूप से भारत के बिल्कुल अलग आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए.
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 7 अगस्त को अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और यूरोपीय संघ जैसे देशों में स्वीकृत कुछ नई दवाओं को स्थानीय नैदानिक परीक्षणों के बिना भारत में बेचने की अनुमति दी. यह छूट मरीजों की सुरक्षा और स्थानीय दवा उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंताएं पैदा करती है. भारत की अनूठी आनुवंशिक विविधता को नजरअंदाज करके यह छूट अप्रत्याशित सुरक्षा और प्रभावशीलता के मुद्दों को जन्म दे सकती है.
जीटीआरआई ने एक बयान में कहा कि मरीजों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के अलावा इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जिससे स्थानीय दवा कंपनियों और अनुबंध अनुसंधान संगठनों (सीआरओ) के लिए बढ़ना मुश्किल हो जाएगा. बयान में कहा गया है कि यह एकतरफा फैसला है, क्योंकि भारत को लाभार्थी देशों में पारस्परिक छूट नहीं मिल रही है. यह फार्मा क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के लिए एक बड़ी जीत है, जो अब अन्य मांगों के लिए दबाव डालेंगी.
रोगियों का समर्थन करने वाले समूहों को डर है कि इससे सुरक्षा से समझौता हो सकता है और अप्रत्याशित दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए भारतीयों के लिए दवाएं सुरक्षित हों, यह सुनिश्चित करने के लिए परीक्षणों की आवश्यकता पर बल दिया जा सकता है. संभावित भ्रष्टाचार और मौजूदा प्रणालियों द्वारा दवा सुरक्षा की प्रभावी रूप से निगरानी किए जाने के बारे में भी चिंताएं हैं.
वहीं, भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) और ऑर्गनाइजेशन ऑफ फार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ इंडिया (ओपीपीआई) भारत को नई दवाओं के लिए अधिक आकर्षक बाजार बनाने की नीति का समर्थन करते हैं. आलोचकों का तर्क है कि एमएनसी मुनाफे पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं और रोगी सुरक्षा या भारत की विशेष आनुवंशिक संरचना पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही हैं.
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी और व्यापार पर केंद्रित एक शोध समूह है. इसका उद्देश्य विकास और गरीबी उन्मूलन के दृष्टिकोण से सरकारों और उद्योग के लिए उचित सलाह देना है.