चक्रवात रेमल का कोलकाता में दिखा असर, उखड़े पेड़ और बिजली खंभे, भारी बारिश जारी - Cyclone Remal - CYCLONE REMAL
Cyclone Remal landfall Kolkata rainfall: चक्रवात रेमल ने कोलकाता के कई इलाकों में तबाही मचाई. कई पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए. इस दौरान भारी बारिश हुई. सड़कों पर जलभराव देखा गया. इस बीच राहत-बचाव दल हालात पर नियंत्रण पाने में जुटे रहे.
कोलकाता: भीषण चक्रवाती तूफान 'रेमल' के आने के बाद कोलकाता में भारी बारिश और तेज हवा जारी है. कोलकाता नगर निगम, कोलकाता पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीम शहर के अलीपुर इलाके में उखड़े पेड़ों को हटाने में लगी हुई है. देर रात की तस्वीरों में देखा गया कि बारिश जारी रहने के बावजूद श्रमिक सड़कें साफ करने की कोशिश करते रहे.
दक्षिण कोलकाता के डीसी प्रियव्रत रॉय ने कहा, 'हमें जानकारी मिल रही है कि कुछ जगहों पर पेड़ उखड़ गए हैं. उन इलाकों में कोलकाता नगर पालिका टीम, कोलकाता पुलिस आपदा प्रबंधन टीम पहुंच गई है और काम चल रहा है.' जल्द ही उखड़े हुए पेड़ों को काटकर हटा दिया जाएगा ताकि सड़कें खोली जा सकें. सुबह तक स्थिति ठीक हो जाएगी.
चक्रवात के मद्देनजर पुलिस का विशेष एकीकृत नियंत्रण कक्ष पूरी रात स्थिति पर नजर रख रहा है. नगर पालिका नियंत्रण कक्ष भी खोला गया है. रविवार को रात 8:30 बजे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों पर पड़ोसी देश के मोंगला के दक्षिण-पश्चिम में सागर द्वीप और खेपुपारा के बीच भूस्खलन की प्रक्रिया शुरू हुई. 'रेमल' ने नाजुक घरों को तहस-नहस कर दिया, पेड़ों को उखाड़ दिया और बिजली के खंभों को गिरा दिया.
हवा की गति 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा थी. ये बढ़कर 135 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई. राजभवन के बाहर से ली गई तस्वीरों में राजधानी में भारी बारिश और तेज हवा चलती दिखाई दी. चक्रवाती तूफान के बारे में बात करते हुए आईएमडी कोलकाता के पूर्वी क्षेत्र प्रमुख सोमनाथ दत्ता ने कहा, 'बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल तट पर रात 8:30 बजे तूफान के पहुंचने की प्रक्रिया शुरू हुई.'
रात 10:30 बजे के अवलोकन से पता चलता है कि भूस्खलन की प्रक्रिया जारी है. रात 12:30 बजे तक भूस्खलन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. चक्रवाती तूफान 'रेमल' के आने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आवास पर उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर आने वाले चक्रवात 'रेमल' के लिए तैयारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. प्रधानमंत्री को बताया गया कि राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति पश्चिम बंगाल सरकार के साथ नियमित संपर्क में है. सभी मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे बंगाल की दक्षिणी खाड़ी और अंडमान सागर में न जाएं.