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APK फाइल है खतरनाक, साइबर क्रिमिनल्स खुद डेवलप कर रहे ठगी का सॉफ्टवेयर! - CYBER C​RIME

साइबर अपराधी ठगी का एक नया हथकंडा आजमा रहे हैं. क्या है वो जरिया, जिसे प्रदेश के डीजीपी भी खतरनाक बता रहे हैं.

Cyber criminals using APK apps for fraud in Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 31, 2025, 6:28 PM IST

रांचीः आज हर हाथ में स्मार्ट फोन है और फिंगरटिप्स पर रोजमर्रा के सारे काम हो रहे हैं. मोबाइल प्ले स्टोर में ऐसे कई ऐप्स की भरमार है, जिससे हम ऑनलाइन पेमेंट से लेकर बिलिंग तक का काम एक क्लिक में करना चाहते हैं. इसके साथ ही कई सरकारी स्कीम्स भी ऐप के रूप में लाए गए हैं. ऐसे में लोग इन ऐप्स को डाउनलोड करते हैं लेकिन इनको डाउनलोड करते समय अगर सावधानी नहीं बरतेंगे तो बाद पछताना पड़ सकता है. क्योंकि आज ये साइबर ठगी का एक बड़ा जरिया बन गया है.

झारखंड के जामताड़ा जिला के साइबर अपराधियों को देश भर में सबसे खतरनाक साइबर क्रिमिनल्स माना जाता है. जामताड़ा कल भी खतरनाक था और आज भी खतरनाक है. क्योंकि अब ये अपराधी हाईटेक हो गये हैं और खुद का ऐप बनाकर लोगों से ठगी कर रहे हैं. जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने खुद का ऐप बनाना सीख लिया है. जांच में यह बात सामने आई है कि जामताड़ा में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के जरिये ऐप बनाने की विधि सीख ली है. अब वे उसी ऐप के जरिए ठगी कर रहे हैं.

जानकारी देते झारखंड के डीजीपी (ETV Bharat)

जामताड़ा मॉड्यूल हुआ पहले से ज्यादा खतरनाक

झारखंड में नक्सल से बड़ी समस्या के रूप में अब साइबर अपराधी सामने आ रहे है. साइबर अपराध की लिए देश भर में बदनाम जामताड़ा अब और कुख्यात हो गया है. जामताड़ा के साइबर अब फर्जी ऐप तैयार करना सीख गए हैं. यहां तक की फर्जी ऐप मोबाइल या लैपटॉप के एंटी वायरस की पकड़ में न आए, इसका तोड़ भी साइबर अपराधियों ने निकाल लिया है.

जामताड़ा के साइबर अपराधियों का एक समूह जिसका नाम डीके बॉस था, उसके जरिये साइबर अपराधियों ने 11 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर डाली थी. जब ठगी में शामिल साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई तो उसमें कई चौकाने वाले खुलासे हुए. राज्य के डीजीपी अनृराग गुप्ता ने बताया कि जामताड़ा के इस नए मॉड्यूल को ध्वस्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की आई4सी और झारखंड सीआईडी एक साथ काम कर रही है. साथ ही झारखंड पुलिस ने आमलोगों के लिए सुरक्षा निर्देश जारी किए हैं.

प्ले स्टोर सेफ, APK खतरनाक

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि एंड्राइड एप्लीकेशन पैकेज (APK) बेहद खतरनाक है. अगर ठगी से बचना है तो गुगल प्ले स्टोर से ही किसी भी ऐप को डाउनलोड करें. क्योंकि अब एंड्राइड एप्लीकेशन पैकेज (APK) को खुद साइबर क्रिमिनल्स भी बनाकर उसे इंटरनेट पर डाल रहे हैं. आमलोगों को एकदम यह समझ लेना है कि एंड्राइड एप्लीकेशन पैकेज किसी भी कीमत पर डाउनलोड न करें.

ऐसे बरतें सावधानी (ETV Bharat)

साफ्टवेयर इंजीनियर ने साइबर अपराधियों को बनाया मजबूत

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि जामताड़ा में साइबर अपराधियों का एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर पकड़ा गया है. यह सॉफ्टवेयर इंजीनियर साइबर अपराधियों को एपीके ऐप तैयार कर उन्हें बेचा करता था. यहां तक की कुछ साइबर अपराधियों को सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने एपीके ऐप कैसे तैयार किये जाते हैं इसकी ट्रेनिंग भी दी. पुलिस के अनुसार जामताड़ा पुलिस ने मो. महबूब आलम, सफुद्दीन अंसारी, मो. आरिफ अंसारी, जसीम अंसारी, एसके बेलाल, अजय मंडल को गिरफ्तार किया था.

ये सभी साइबर अपराधी पूर्व में भी साइबर अपराध करते रहे थे लेकिन अप्रैल 2023 में ये एक साफ्टवेयर इंजीनियर के संपर्क में आए. साफ्टवेयर इंजीनियर ने इन साइबर अपराधियों को ऐप डेवलपर का ऑनलाइन ट्यूटोरियल दिया. जिसके बाद साइबर अपराधियों के समूह ने जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Java programming language) का इस्तेमाल करते हुए सरकारी योजनाओं के नाम से मिलते-जुलते ऐप्स बनाए और उसके जरिये करोड़ों की ठगी कर ली.

चैट जीपीटी का किया इस्तेमाल

यह बात सामने आयी है कि चैट जीपीटी (ChatGPT) का इस्तेमाल कर साइबर अपराधियों ने एआई आधारित चैट जीपीटी के चैटवॉट का इस्तेमाल किया. जांच में पाया गया है कि जब कभी-भी इन ऐप्स में समस्या आती तो ये चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर नया कोड जेनरेट कराते थे, जिसके बाद फर्जी ऐप एंटी वायरस को भी बाइपास कर जाता था. सरकारी योजनाओं के लिए नाम पर बने इन फर्जी ऐप को ये उपभोक्ताओं के मोबाइल में एपीके के जरिए इंस्टाल कराते थे.

पुलिस की ओर से जारी निर्देश (ETV Bharat)

इन सारी एपीके फाइल इंस्टॉल होने के बाद फोन में मौजूद बैंक खाते, ओटीपी की जानकारी, सारे एसएमएस व कॉल का डाटा साइबर अपराधियों तक पहुंचता था. इस डाटा की मॉनिटरिंग के लिए अलग से वेबसाइट साइबर अपराधियों ने बनाया था. लोगों को लगता कि वे सही जगह पर पैसा डाल रहे हैं लेकिन पैसे साइबर अपराधियों के खाते में चले जाते थे.

इंटरनेट पर फर्जी दुनिया

जामताड़ा पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि एपीके आधारित धोखाधड़ी के लिए डीके बॉस नाम का इस्तेमाल किया जाता था. जिसमें बैंक कस्टमर्स को टारगेट करने के लिए उनका डाटा साइबर अपराधी रखते थे. पंजाब नेशनल बैंक के 2000 और केनरा बैंक के 500 खातों का पूरा डाटा साइबर अपराधियों ने रखा था. साइबर अपराधियों ने अपने सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम में 2700 साइबर अपराधियों का डाटा रखा था. जिसमें 2.7 लाख मैसेज, व्हाट्सएप चैट, ओटीपी, बैंकिंग ट्रांजेक्शन की जानकारी रखी गई थी.

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