रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मिशनरी पर धर्मांतरण का आरोप लगाया है. सीएम ने रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य की आड़ में मिशनरी छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का खेल खेल रहे हैं. भाजपा पहले भी मिशनरी पर धर्मांतरण को लेकर हमला बोलते रही है. यहां तक कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के संरक्षण में भी धर्मांतरण का आरोप लगाने से भी बीजेपी नहीं चूकी. यदि धर्मांतरण की मुख्य वजह शिक्षा और स्वास्थ्य है तो अब तक की पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारों ने इसे दुरुस्त क्यों नहीं किया. जिससे धर्मांतरण रोका जा सके. अब प्रदेश के मुखिया धर्मांतरण रोकने की बात कह रहे हैं. क्या यह बीजेपी का चुनावी स्टंट है या फिर कुछ और.
शिक्षा और स्वास्थ्य की आड़ में मिशनरी कर रहे धर्मांतरण:मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा "छत्तीसगढ़ में मिशनरियों का बोलबाला है. खासकर कि आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य में वे लोग हावी है. इसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि इसकी आड़ में प्रदेश में धर्मांतरण बढ़ गया है. यह सब रुकेगा तभी हिंदुत्व को ताकत मिलेगी. "
सीएम साय के बयान से नहीं है कोई आपत्ति, लेकिन होता रहेगा धर्मांतरण:सीएम साय के बयान पर छत्तीसगढ़ ईसाई समाज के प्रमुख अरुण पन्नालाल ने कहा "सीएम साय ने दो-तीन बातें कही है, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख है. इस पर मिशनरी लगातार हावी रहे हैं. यह बात हम स्वीकारते है कि हम शुरू से इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा सेवाएं दे रहे हैं. इसलिए सीएम ने ऐसा कहा. इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं कहा है. सीएम ने धर्मांतरण अपराध है इस तरह की बातें भी नहीं कही है. सीएम हिंदुत्व को मजबूत कर धर्मांतरण रोकने की बात कह रहे हैं. उसमें भी उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य पर बल दिया है. यदि शिक्षा और स्वास्थ्य जरूरतमंदों तक पहुंच जाती है तो यह हमारे लिए खुशी की बात होगी. क्योंकि हम तो शुरू से जन सेवा करते आ रहे हैं.
धर्मांतरण शुरू से मुद्दा बना रहा है और आगे भी बना रहेगा. हकीकत यही कि जब तक संविधान है तब तक धर्मांतरण होता रहेगा. क्योंकि संविधान के तहत धर्मांतरण करना कोई अपराध नहीं है.- अरुण पन्नालाल, ईसाई समाज के प्रमुख, छत्तीसगढ़
मिशनरी को नहीं है धर्मांतरण का अधिकार:मिशनरी के धर्मांतरण कराए जाने के सीएम के बयान पर ईसाई समाज के प्रमुख अरुण पन्नालाल ने कहा कि शायद साय को इस बात की जानकारी नहीं है, कि मिशनरी धर्मांतरण नहीं कर सकते और उनके पास इसका अधिकार भी नहीं होता है. धर्मांतरण करने की ताकत सिर्फ पादरियों में होती है. जो धर्म संबंधित है और दूसरा शासन के पास, कलेक्टर के पास धर्म परिवर्तन के लिए रजिस्टर करना होता है.
नहीं रुकी हिंसा तो लोकसभा चुनाव में दोनों ही दल को भुगतना होगा परिणाम, नोटा में पड़ेंगे लाखों वोट: अरुण पन्नालाल ने कहा "ईसाई समाज ने विधानसभा की तीन सीटें डायरेक्टली बीजेपी को दिया है. सरगुजा की 14 सीटें भाजपा के खाते में सीधी गई है. अब हम हर विकल्प पर चर्चा कर देखेंगे. लगातार हिंसा देखने को मिल रही है. हिंसा का माहौल कंट्रोल नहीं किया गया, यदि हमसे बातचीत नहीं की या फिर इसके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की, तो इसका लोकसभा चुनाव में बहुत ही विपरीत असर पड़ सकता है. इसका खामियाजा कांग्रेस और भाजपा दोनों दल को उठाना पड़ सकता है.
कांग्रेस ने हमको खूब मारा पीटा, हम कांग्रेस से अलग हो गए. बीजेपी को अभी बहुत बारीकी से देख रहे हैं. यदि इन्होंने भी मारा पीटा तो हम नोटा में वोट डालेंगे-अरुण पन्नालाल, ईसाई समाज के प्रमुख,छत्तीसगढ़