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संसद में राहुल और खड़गे को बोलने की नहीं मिली अनुमति, कांग्रेस ने जताई नाराजगी - Congress Miffed over LoP

Congress Miffed: कांग्रेस ने इस बात पर अपनी नाराजगी व्यक्त की कि लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता क्रमश: राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने नहीं दिया गया. कांग्रेस को शिकायत यह थी कि, राहुल गांधी मणिपुर पर बोलना चाहते थे, उन्हें अनुमति नहीं दी गई. वहीं, खड़गे को संविधान के दुरुपयोग से जुड़े आरोप पर स्पष्टीकरण देने का मौका नहीं मिला.

By Amit Agnihotri

Published : Jul 3, 2024, 7:44 PM IST

Rahul Gandhi and Mallikarjun Kharge, right, the Leaders of the Opposition in the Lok Sabha and Rajya Sabha respectively.
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, दाएं, क्रमशः लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता (ANI)

नई दिल्ली:कांग्रेस इस बात से नाराज है कि उनके दो शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, जो लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं, उन्हें राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान पीएम मोदी के जवाब के दौरान बोलने और आपत्ति जताने की अनुमति नहीं दी गई. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि, एनडीए सरकार के इशारे पर कथित तौर पर संबंधित अध्यक्षों द्वारा यह इनकार संसदीय मानदंडों का उल्लंघन है, जो विपक्ष के नेता के पद पर बैठे व्यक्ति को महत्व देते हैं.

कांग्रेस की शिकायत यह थी कि 2 जुलाई को राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री के जवाब से ठीक पहले पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में सामाजिक संघर्ष पर एक मिनट बोलना चाहते थे, लेकिन विपक्ष के नेता को मौका नहीं दिया गया. उनका माइक बंद कर दिया गया. 2 जुलाई को जैसे ही प्रधानमंत्री का जवाब शुरू होने वाला था, राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के तौर पर अपना हाथ उठाया. कांग्रेस ने कहा कि, यह सदन के नेता यानी प्रधानमंत्री के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है, लेकिन हमारे नेता को मौका नहीं दिया गया.

लोकसभा सांसद प्रणति शिंदे ने ईटीवी भारत से कहा, ऐसा कभी नहीं हुआ कि विपक्ष के नेता का माइक बंद हो. जब कांग्रेस सत्ता में थी और भाजपा विपक्ष में थी, तब विपक्ष के नेता का माइक हमेशा चालू रहता था. यहां तक ​​कि राज्य विधानसभाओं में भी विपक्ष के नेता का माइक हमेशा चालू रहता है. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि लोकसभा में विपक्ष के नेता का माइक बंद कर दिया गया. मणिपुर के मुद्दे पर बोलने के लिए स्पीकर ने उन्हें अनुमति नहीं दी. यह अपने आप में असंवेदनशीलता और पीड़ित राज्य के प्रति सहानुभूति की कमी का कार्य है.

शिंदे के अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विपक्ष के नेता चाहते थे कि मणिपुर के कांग्रेस सांसद अल्फ्रेड, जो पहाड़ी इलाकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, प्रधानमंत्री के सामने अपनी चिंताएं साझा करें. उन्होंने कहा कि, पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है. पिछले साल राहुल गांधी मणिपुर के निवासियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए राज्य का दौरा कर चुके हैं, लेकिन हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद भी प्रधानमंत्री वहां नहीं गए.

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री किसी खास पार्टी से नहीं हैं, जब वह देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो वह पूरे देश के हैं. जब इतने सारे लोग मारे गए हैं, जब मणिपुर में महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाया गया है, तो हम उनसे कम से कम यही उम्मीद करते हैं कि वह स्थानीय सांसद की बात सिर्फ साठ सेकंड के लिए सुनेंगे. शिंदे ने कहा कि, अल्फ्रेड को मौका न दिए जाने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के पार्टी सांसदों और अन्य इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने सदन में विरोध प्रदर्शन किया.

कांग्रेस इस बात से भी नाराज है कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जो पार्टी के अध्यक्ष भी हैं, उन्हें राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए जवाब में संविधान से संबंधित एक बिंदु को स्पष्ट करने का मौका नहीं दिया गया. सदन में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्होंने अतीत में संविधान का दुरुपयोग किया था, वे अब संविधान को बचाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी के 'संविधान बचाओ' अभियान का संदर्भ दिया.

तिवारी ने ईटीवी भारत से कहा, विपक्ष के नेता सदन में प्रधानमंत्री द्वारा बोले गए झूठ पर स्पष्टीकरण देना चाहते थे. खड़गे यह बताना चाहते थे कि संविधान बनाने में भाजपा और उसके पूर्ववर्तियों की कोई भूमिका नहीं थी. इसके अलावा, आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने अपने नवंबर 1950 के संस्करण में उल्लेख किया था कि संविधान भारतीय प्रकृति का नहीं है. इसका देश के अतीत से कोई संबंध नहीं है, जैसा कि मनुस्मृति में परिलक्षित होता है. उन्होंने विरोध में संविधान का मसौदा तैयार करने वाले डॉ. बीआर अंबेडकर के पुतले भी जलाए. अब वे हमें कैसे दोषी ठहरा सकते हैं. तिवारी ने ईटीवी भारत से कहा, जब कोई विपक्ष का नेता कोई बात कहना चाहता है, तो उसे सुना जाना चाहिए. संसदीय मानदंडों के अनुसार यह न्यूनतम है.

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