नई दिल्ली :कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया कि झारखंड में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के विधायकों को खरीद-फरोख्त का कोई खतरा नहीं है. जरूरत पड़ने पर विधायकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की योजना तैयार है. इस संबंध में एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि गठबंधन के पास संख्या है. राज्यपाल को समर्थन पत्र दे दिया गया है लेकिन अभी तक राजभवन की ओर से नामित मुख्यमंत्री को शपथ लेने का निमंत्रण नहीं मिला है. ये देरी क्यों. विधायक सुरक्षित हैं लेकिन हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, गठबंधन के कुछ विधायकों को तेलंगाना के हैदराबाद या कर्नाटक के बेंगलुरु ले जाया जा सकता है, जहां सबसे पुरानी पार्टी सत्ता में है. वहीं उनमें से कुछ को राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का स्वागत करने के लिए राज्य में छोड़ा जा सकता है. बता दें कि 2 फरवरी को राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा राज्य में प्रवेश करेगी. इसी कड़ी में कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर ने बताया कि गठबंधन मजबूत और एकजुट है. बुधवार शाम हमने राज्यपाल को 43 विधायकों के समर्थन का पत्र दिया था. कुछ विधायक राजभवन नहीं पहुंच सके, लेकिन गुरुवार को विधायकों की संख्या बढ़कर 47 हो गई है लेकिन अभी भी राज्यपाल ने मनोनीत मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को शपथ लेने के लिए आमंत्रित नहीं किया है. इस देरी को समझाया नहीं जा सकता क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य के राज्यपाल ने इस्तीफा देने के कुछ घंटों के भीतर शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था.
उन्होंने कहा, 'हमारे विधायकों की खरीद-फरोख्त का कोई डर नहीं है. हमारे पास संख्या है और हम एक साथ हैं. हम सभी रांची में हैं.' हालांकि, झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने कहा कि गठबंधन के पास विधायकों को सुरक्षित करने के लिए प्लान बी है, लेकिन उन्होंने इस बारे में बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं और जरूरत पड़ने पर विधायकों को सुरक्षित करने के लिए हमारी योजनाएं तैयार हैं. लेकिन हम अपनी रणनीति साझा नहीं कर सकते. वहीं खरसावां से झामुमो विधायक दशरथ गागराई ने महतो के विचारों को साझा किया और आरोप लगाया कि भाजपा गठबंधन के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है.