नई दिल्ली: कांग्रेस संसद में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में पेश करने और केंद्रीय वित्त के वितरण को लेकर क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाकर इंडिया गठबंधन में एकता को बढ़ावा देने के लिए बजटीय आवंटन में संघवाद के उल्लंघन को उजागर कर रही है. पिछले कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, दिल्ली और पंजाब जैसे कई राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा राजस्व के वितरण में अपना उचित हिस्सा नहीं मिलने पर चिंता जताई है, जहां विपक्ष दलों की सरकार है.
केंद्रीय बजट 2024-25 ने कांग्रेस और विपक्ष को संसद में संघवाद के उल्लंघन का मुद्दा उठाने का एक और मौका दिया. राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में राहुल गांधी अब यह मुद्दा उठा सकते हैं. मंगलवार 23 जुलाई को बजट पेश होने के बाद से खड़गे और राहुल दोनों ने वित्तीय आवंटन पर अपनी टिप्पणियों के लिए संघवाद के सिद्धांत का सहारा लिया है. उनका कहना है कि एनडीए सरकार ने जानबूझकर बजट में विपक्ष शासित राज्यों की अनदेखी की, जबकि आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए अपने खजाने खोल दिए, क्योंकि इन राज्यों में एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक से एमएलसी बीके हरि प्रसाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उन्होंने (मोदी सरकार) सत्ता में बने रहने के लिए बिहार और आंध्र प्रदेश को भारी धनराशि दी है. सहयोगी दलों ने उनसे भारी मांग की थी और उन्होंने सरकार इसके लिए बाध्य किया. सरकार के लिए कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों की ऐसी मांगों को नजरअंदाज करना आसान था, जो जीएसटी और अन्य टैक्स के रूप में केंद्रीय कोष में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन बदले में उन्हें बहुत कम मिलता है.
उन्होंने आगे कहा कि कई बार राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति से निपटने के लिए केंद्र से अतिरिक्त फंड की मांग करती हैं, जैसा कि कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में हुआ. केंद्र सरकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्यों की मदद करने के लिए बाध्य है. राज्यों को उनका उचित हिस्सा मिलना चाहिए. यह संविधान के अनुच्छेद 38 और 39 में निहित संघीय सिद्धांत है. लेकिन सरकार अपने तुच्छ राजनीतिक उद्देश्यों के लिए संविधान के खिलाफ जा रहे हैं.