उज्जैन: जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी समस्या है. महाकवि कालिदास हमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के महत्व के बारे में बताते हैं. हम सभी को अपने पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए और याद रखना चाहिए कि पृथ्वी एक है. कला और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव सराहना के पात्र हैं. ये बातें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह में कहीं.
सामाजिक समरसता की आज भारत को सख्त जरूरत
उन्होंने कहा कि आज का 66वां अखिल भारतीय कालिदास समारोह हमारी संस्कृति का प्रतीक है. सामाजिक समरसता—एक ऐसा गुण जिसकी भारत को आज के समय में सख्त आवश्यकता है, जब उसे हर ओर से चुनौतियाँ मिल रही हैं. भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है. हम उस देश के वासी हैं जिसने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को अपनाया नहीं, बल्कि दुनिया के सामने इसका सार्थक प्रयोग प्रस्तुत किया है. हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी क्योंकि हम सबकी भलाई की सोचते हैं.”
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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने संबोधन में भारत की 5000 साल पुरानी संस्कृति का गौरवगान किया और भारतीयता को हमारी पहचान बताया. उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कला और साहित्य के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का कार्य करते हैं. समापन भाषण में उपराष्ट्रपति ने सभी से अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहने का आह्वान किया. कहा कि वे यहां से एक विशेष शक्ति लेकर जा रहे हैं, जो उन्हें देश सेवा के प्रति और अधिक समर्पित बनाएगी.
हेलीपैड पर राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया स्वागत
पुलिस लाइन स्थित हेलीपैड पर राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उनका स्वागत किया. उपराष्ट्रपति के साथ राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल भी समारोह में उपस्थित थे। समारोह की शुरुआत उपराष्ट्रपति द्वारा दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई. उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उपराष्ट्रपति को महाकाल लोक का प्रतीक चिह्न भेंट कर उनका सम्मान किया.
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने अपने उद्बोधन में उज्जैन की समृद्ध सांस्कृतिक और न्यायिक परंपराओं का उल्लेख किया. उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल की प्रशंसा की और कहा कि उस समय उज्जैन न्याय और संस्कृति का केंद्र था. राज्यपाल ने जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया.