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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला, CJI संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को अलग किया

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित 2023 के कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. CJI संजीव खन्ना ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

CJI Khanna opts out from hearing pleas challenging law on election commissioners appointment
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना (File Photo- ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 3, 2024, 9:19 PM IST

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित 2023 के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. इस कानून में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले एक पैनल द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान है. लेकिन पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल नहीं किया गया है.

जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनवरी और मार्च 2024 में इस मामले की सुनवाई की थी, हालांकि मंगलवार को उन्होंने सुनवाई से खुद को अलग करने का फैसला किया और कहा कि पहले की स्थिति थोड़ी अलग थी.

शुरू में, सीजेआई ने कहा कि वह इस बात पर विचार कर रहे हैं कि उन्हें मामले की सुनवाई करनी चाहिए या नहीं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हम इसे माय लॉर्ड्स पर छोड़ते हैं.

हालांकि, याचिकाकर्ताओं में से एक की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन मामले के संबंध में सीजेआई के फैसले से हैरान दिखे और उन्होंने कहा कि उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में अंतरिम आदेश पारित किया था.

इस पर सीजेआई ने कहा कि तब स्थिति थोड़ी अलग थी. शंकरनारायणन ने कहा, "मुझे यकीन है कि हम आपके लॉर्डशिप को अलग दिशा में समझा सकते हैं." इस तर्क पर सीजेआई मुस्कुराए. पीठ को बताया गया कि केंद्र सरकार ने अभी तक मामले में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है.

याचिकाकर्ताओं में से एक अन्य की पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि यह मामला संविधान पीठ के दो फैसलों के तहत आता है. सीजेआई ने कहा, "मैं समझता हूं कि मैं उचित नहीं रहूंगा…"

एक अन्य वकील ने पीठ से 2023 के कानून पर रोक लगाने का आग्रह किया. हालांकि, पीठ ने कहा कि मामले को सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा. पीठ में जस्टिस संजय कुमार भी शामिल थे.

अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि मई के बाद से केंद्र के पास इस मामले में जवाब दाखिल करने का समय था, लेकिन उन्होंने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है. उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि (नए कानून द्वारा) फैसले का आधार हटाया नहीं गया है और हमें अगली तारीख दी जाए." उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से कानूनी मुद्दा है.

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि पांच याचिकाएं हैं और सरकार को संयुक्त जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए. शंकरनारायणन ने जोर देकर कहा कि पांच महीने से केंद्र ने इस मामले में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है.

इसके बाद जस्टिस कुमार ने कहा कि मामले की पहली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी और उन्होंने पूछा कि केंद्र ने अपना जवाब दाखिल क्यों नहीं किया?

सीजेआई ने कहा कि 6 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में इस मामले को किसी दूसरी पीठ के सामने आने दीजिए. सीजेआई ने केंद्र के वकील से कहा, "याचिका पूरी होनी चाहिए और यह नहीं हुई है. इसमें बहुत समय लग गया है."

शंकरनारायणन ने कहा कि नई पीठ को इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि अदालत ने केंद्र को कितना लंबा समय दिया है.

जनवरी 2024 में यह मामला जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने आया था. तब जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए नए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. बाद में जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मार्च 2024 में फिर से मामले की सुनवाई की. अगस्त 2024 में यह मामला जस्टिस खन्ना और जस्टिस कुमार की पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया था.

अगस्त 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई में तेजी लाने से इनकार कर दिया. साथ ही केंद्र को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और कहा कि अदालत सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय देगी.

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