नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलिस थानों से लेकर कोर्ट तक न्याय प्रणाली दिव्यांग बच्चों की बढ़ती कमजोरियों को समझे और उन पर कार्रवाई करे. उन्होंने उक्त बातें बाल संरक्षण पर नौवें राष्ट्रीय वार्षिक हितधारक परामर्श के अवसर पर कहीं. सीजेआई ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियां भौतिक पहुंच के मुद्दों से कहीं अधिक हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें उन सामाजिक पूर्वाग्रहों के अलावा रूढ़ियों तथा गलत धारणाओं से भी निपटना होगा जो जीवन के हर पहलू में व्याप्त हैं.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस थानों से लेकर अदालतों तक की न्याय प्रणाली इन बच्चों की बढ़ती हुई कमजोरियों को समझे और उस पर कार्रवाई करें. उन्होंने कहा कि पुनर्स्थापनात्मक न्याय दृष्टिकोण को शामिल किया जाना एक समाधान है. किशोर न्याय अधिनियम कानून के साथ जूझ रहे बच्चों के लिए परामर्श, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे पुनर्वास और पुनः एकीकरण उपायों की रूपरेखा बनाता है. साथ ही दिव्यांग बच्चों के लिए इन उपायों को उनके अनुकूल किया जा सकता है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए जरूरी विशेष सहायता मिल सके.