नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट भारत और सिंगापुर की सर्वोच्च न्यायालयों के बीच प्रौद्योगिकी और संवाद पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है. सम्मेलन के पहले दिन शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को अपनाने से उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच वाले लोगों का पक्ष लेकर असमानता बढ़ सकती है. वहीें, दूसरी तरफ यह मौजूदा पदानुक्रमों को बाधित करते हुए नए खिलाड़ियों और सेवाओं के लिए भी द्वार खोलता है. सम्मेलन के दौरान सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुंदरेश मेनन और कई अन्य न्यायाधीश और विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे.
सीजेआई ने कहा कि चूंकि हम कानूनी क्षेत्र में एआई (AI) के एकीकरण को आगे बढ़ा रहे हैं. यह जरूरी है कि हम प्रणालीगत चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्क रहें. यह सुनिश्चित करें कि एआई प्रौद्योगिकियां सभी के लिए न्याय की खोज को कमजोर करने के बजाय बढ़ाने में मदद करें. सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि अदालती कार्यवाही सहित आधुनिक प्रक्रियाओं में एआई का एकीकरण जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विचारों को जन्म देता है, जो गहन जांच की मांग करते हैं.
उन्होंने कहा, 'अदालत के फैसले में एआई का उपयोग अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करता है. इन पर सूक्ष्म विचार-विमर्श की आवश्यकता है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा, जहां जमानत याचिका पर परिप्रेक्ष्य को व्यापक बनाने के लिए चैटजीपीटी (ChatGPT) से इनपुट मांगा गया था. उन्होंने विस्तार से बताया कि जसविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में, पीठासीन न्यायाधीश ने एक क्रूर घातक हमले में शामिल होने के आरोपों के कारण जमानत याचिका खारिज कर दी, और अंतर्दृष्टि के लिए चैटजीपीटी का रुख किया.
सीजेआई ने कहा, 'यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि मामले की योग्यता का आकलन करते समय उच्च न्यायालय द्वारा चैटजीपीटी के इनपुट पर विचार नहीं किया गया था. इसके बजाय, इसका उद्देश्य जमानत न्यायशास्त्र की व्यापक समझ प्रदान करना था. खासकर उन मामलों में जिनमें क्रूरता एक कारक के रूप में शामिल है. ये उदाहरण दिखाते हैं कि हम अदालत के फैसले में एआई के इस्तेमाल के सवाल से बच नहीं सकते.
उन्होंने कहा, 'जबकि एआई अभूतपूर्व अवसर प्रस्तुत करता है. यह विशेष रूप से नैतिकता, जवाबदेही और पूर्वाग्रह से संबंधित जटिल चुनौतियां भी खड़ी करता है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए भौगोलिक और संस्थागत सीमाओं से परे, दुनिया भर के हितधारकों द्वारा एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है. एआई की क्षमताओं को लेकर उत्साह के बीच, संभावित त्रुटियों और गलत व्याख्याओं को लेकर भी चिंताएं हैं'.
सीजेआई ने कहा, 'मजबूत ऑडिटिंग तंत्र के बिना, मतिभ्रम के उदाहरण जहां एआई झूठी या भ्रामक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करता है. हो सकता है, जिससे अनुचित सलाह हो सकती है. चरम मामलों में, न्याय में बाधा उत्पन्न हो सकती है. कानूनी क्षेत्र में, एआई को अपनाने से उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच वाले लोगों का पक्ष लेकर असमानता बढ़ सकती है. यह मौजूदा पदानुक्रमों को बाधित करते हुए नए खिलाड़ियों और सेवाओं के लिए द्वार भी खोलता है'.