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टॉयलेट सीट से लेकर समोसा प्रकरण और राहुल गांधी से जुड़े ऑडियो पर जांच, जानिए सुख की सरकार में दूसरे साल के अजब-गजब विवाद - HIMACHAL SUKHU GOVT TWO YEARS

सुखविंदर सरकार के दो साल पूरे हो चुके हैं. इस दौरान सरकार से कुछ ऐसे विवाद जुड़े, जो देशभर में सुर्खियां बन गई.

सुक्खू सरकार से जुड़े अजब-गजब विवाद
सुक्खू सरकार से जुड़े अजब-गजब विवाद (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 10, 2024, 7:17 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 7:46 PM IST

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का दूसरा साल पूरा होने जा रहा है. इस अवसर पर भाजपा के मुखिया जेपी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में जश्न मनाया जाएगा. अमूमन सरकार अपने कार्यकाल के हर साल में उपलब्धियों का लेखा-जोखा जनता के सामने रखती है, लेकिन विवादों के जिक्र से बचने का प्रयास किया जाता है. यहां सुखविंदर सिंह सरकार, जिसे अकसर सुख की सरकार कहकर पुकारा जाता है, से जुड़े कुछ अजब-गजब विवादों पर बात करेंगे. वर्ष 2024 में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में कुछ ऐसे विवाद सामने आए, जिससे सरकार की छवि को लेकर सोशल मीडिया पर खूब फजीहत हुई. विपक्ष को तो सरकार घेरने का बहाना चाहिए होता है, सो भाजपा ने कांग्रेस सरकार को आड़े हाथ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

कभी टॉयलेट शुल्क तो कभी समोसा प्रकरण बना मुद्दा

पहला विवाद हुआ टॉयलेट सीट पर शुल्क को लेकर एक नोटिफिकेशन अचानक से सोशल मीडिया पर वायरल होती है. उस नोटिफिकेशन के अनुसार प्रति टॉयलेट सीट पर शुल्क का प्रावधान होता है. सोशल मीडिया पर नोटिफिकेशन वायरल हुआ तो सरकार ने आनन-फानन में उसे वापस ले लिया. अभी ये किस्सा सोशल मीडिया पर तैर ही रहा था कि अचानक से पुलिस के एक फंक्शन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए मंगवाए गए समोसे गायब हो गए. समोसों के गायब होने की जांच हो गई. विपक्ष ने इसे खूब मुद्दा बनाया और तो और ये मामला नेशनल मीडिया में खूब चर्चा में रहा.

HRTC बस ड्राइवर और कंडक्टर को जारी नोटिस (वायरल नोटिस)

HRTC बस में ऑडियो मामले में ड्राइवर-कंडक्टर को थमाया नोटिस

खैर, किसी तरह ये विवाद भी थमा तो एक नया अजब-गजब आदेश सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैला. शिमला में एक लोकल रूट की सरकारी बस में कोई सवारी कथित रूप से एक ऑडियो क्लिप सुन रही थी. उसमें कांग्रेस के नेता रहे और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्ण सहित राहुल गांधी, अखिलेश यादव व तेजस्वी यादव सहित ममता बनर्जी का नाम आ रहा था. एक सवारी ने इसकी शिकायत सीएम ऑफिस में कर दी. एचआरटीसी ने बाकायदा चालक-परिचालक को नोटिस थमा दिया. मामला सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो हिमाचल पथ परिवहन निगम के एमडी ने मीडिया में सफाई दी तो ये थे तीन मामले, जिन्होंने सरकार की खूब फजीहत की. अब इन्हें विस्तार से दर्ज करते हुए पक्ष-विपक्ष के नेताओं के बयानों पर नजर डालते हैं.

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमन की पोस्ट (@Nirmala Sitharaman Post)

निर्मला सीतारमण की एक्स पोस्ट से मचा हल्ला

हिमाचल के जल शक्ति विभाग ने 21 सितंबर 2024 को एक नोटिफिकेशन जारी की. उस नोटिफिकेशन में कहा गया था कि राज्य के शहरी इलाकों में कुछ प्रतिष्ठान यानी एस्टेब्लिशमेंट ऐसे हैं, जो खुद के वाटर सोर्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जल शक्ति विभाग का सीवरेज सिस्टम यूज करते हैं. उन प्रतिष्ठानों से प्रति सीट प्रतिमाह 25 रुपए सीवरेज चार्ज लगाया जाएगा. यहां सीट का साफ-साफ अर्थ टॉयलेट सीट ही बनता है. इस नोटिफिकेशन के सामने आने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक्स पर पोस्ट डाली. निर्मला ताई की पोस्ट का लब्बो-लुआब ये था कि जब पीएम नरेंद्र मोदी स्वच्छता को एक अभियान का रूप दे रहे हैं, कांग्रेस वाले टॉयलेट शुल्क लगा रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस सरकार की खूब लानत-मलामत की.

जल शक्ति विभाग का मामले में देनी पड़ी सफाई

उसके बाद सोशल मीडिया पर हल्ला मच गया. तरह-तरह की तंज वाली पोस्टों की झड़ी लग गई. बाद में हिमाचल सरकार के जल शक्ति विभाग के एसीएस रैंक के अफसर ओंकार शर्मा मीडिया के सामने आए और स्थितियां स्पष्ट की. ओंकार शर्मा ने कहा कि 21 सितंबर को अधिसूचना जारी करने के बाद उसे डिप्टी सीएम (इनके पास ही जलशक्ति विभाग है) को भेजा गया. उन्होंने टॉयलेट शुल्क वाली शब्दावली पर आपत्ति जाहिर की तो उसे वापिस ले लिया गया.

टॉयलेट शुल्क को लेकर जारी नोटिफिकेशन पर हुआ विवाद (ETV Bharat GFX)

टॉयलेट सीट शुल्क पर सत्ता और विपक्ष में तकरार

इस बारे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान एक सवाल पर कहा कि भाजपा जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे शगूफे छोड़ती है. टॉयलेट सीट शुल्क जैसी कोई बात नहीं है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना था कि कांग्रेस सरकार पूरी तरह से पटरी से उतर गई है. ऐसे-ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, जिससे सोशल मीडिया पर फजीहत हो रही है. फिलहाल, टॉयलेट सीट टैक्स का विवाद अब अतीत हो गया, लेकिन अन्य विवाद मानों अभी भी कतार में खड़े थे.

सीएम सुखविंदर के समोसे गायब होने का मामला (ETV Bharat GFX)

कौन खा गया सीएम के लिए मंगवाए समोसे?

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अक्टूबर महीने के आखिर में सीआईडी मुख्यालय में एक आयोजन में शामिल हुए थे. वहां, पुलिस अफसरों ने उनके लिए लक्कड़ बाजार के नामी होटल के रेस्तरां से समोसे व केक मंगवाए थे. समोसे व केक लाने के लिए बाकायदा पुलिस कर्मियों को ड्यूटी बांटी गई, लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू तक ये समोसे नहीं पहुंचे. चूंकि मामला राज्य के मुखिया से जुड़ा था, लिहाजा सीआईडी ने इस पर जांच बिठा दी. जांच रिपोर्ट जब मीडिया में लीक हुई तो हंगामा मच गया. फिर एक बार सुखविंदर सिंह सरकार सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगी. जब टॉयलेट सीट प्रकरण हुआ था तो सीएम हरियाणा में चुनाव थे और समोसे के समय महाराष्ट्र में चुनाव चल रहे थे. इन दोनों मामलों में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मीडिया ने सवाल किए. सीएम ने कहा कि न जाने भाजपा कहां से ऐसे शब्द तलाशती है. सीएम ने कहा कि वे तो तला हुआ पदार्थ खाते ही नहीं हैं. हंसी की बात तो ये थी कि सीआईडी की जांच में समोसे गायब होने को सरकार विरोधी कृत्य बताया गया, जिस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जमकर चुटकियां लीं.

राहुल गांधी के खिलाफ ऑडियो क्यों चलने दिया

साल के अंत में एक और अजीबो गरीब विवाद सामने आया. नवंबर महीने में शिमला से संजौली रूट पर चलने वाली एक लोकल बस में कोई सवारी ऑडियो क्लिप सुन रही थी. इस क्लिप में कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन व अन्यों की आवाज थी. एक सवारी ने इस क्लिप को आपत्तिजनक पाया, क्योंकि इसमें राहुल गांधी सहित तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी आदि नेताओं का नाम आ रहा था. सवारी ने आरोप लगाया कि क्लिप में कांग्रेस के नेता के खिलाफ आपत्तिजनक बातें बोली जा रही थीं और दुष्प्रचार किया जा रहा था. ये शिकायत सीएम के अवर सचिव को की गई थी. वहां से एचआरटीसी को शिकायत भेजी गई तो निगम के संबंधित अधिकारी ने चालक व परिचालक को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. उस नोटिस की भाषा अजीब थी.

HRTC ड्राइवर और कंडक्टर को नोटिस थमाने का मामला (ETV Bharat GFX)

नोटिस के अनुसार ऐसे ऑडियो क्लिप को प्रसारित नहीं होने देना चाहिए था. अब चालक और परिचालक क्रमश: बस चलाने व टिकट काटने का काम करेंगे या फिर ये देखेंगे कि कहीं कांग्रेस के किसी नेता के खिलाफ कोई सवारी वीडियो तो नहीं देख रही या फिर ऑडियो क्लिप तो नहीं सुन रही. खैर, मामले ने तूल पकड़ा तो एचआरटीसी के एमडी रोहन ठाकुर सामने आए और सारे विवाद पर सफाई दी. उन्होंने स्वीकार किया कि नोटिस की भाषा सही नहीं थी. इसके अलावा एचआरटीसी की बसों में सामान के किराए से जुड़ी लगेज पॉलिसी भी विवाद में आई थी, लेकिन ये तीन विवाद ऐसे थे, जिनकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि सरकार कोई भी हो, उसकी टॉप ब्यूरोक्रेसी को छवि निर्माण में सजग रहना चाहिए. ऐसे विवादों के दाग आसानी से नहीं छूटते और कई बार चुनाव में इनका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. यहां बता दें कि भाजपा सरकार के समय जब ओपीएस की मांग उठी थी तो तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने कर्मचारी नेताओं को चुनाव लड़ने की चुनौती दे दी थी. ये आवेश में दिया गया बयान बाद में भाजपा सरकार को चुनाव में भारी पड़ा था.

खैर, सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के दो साल का कार्यकाल पूरा होने पर बिलासपुर में जश्न मनाया जा रहा है. सुख की सरकार का दावा है कि इन दो साल में सरकार ने जनहित के अनेक काम किए हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का दावा है कि वर्ष 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और फिर 2032 तक हिमाचल देश का सबसे विकसित राज्य बनेगा.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 7:46 PM IST

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