दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

'मदरसों को पैसा देना बंद करें', NCPCR ने केंद्र शासित और राज्य सरकारों से क्यों की सिफारिश? जानें - CHILD RIGHTS PANEL

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने आयोग सभी राज्यों के सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों से अपील की है वे मदरसा बोर्ड को बंद कर दें.

प्रियांक कानूनगो
प्रियांक कानूनगो (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 12, 2024, 12:48 PM IST

Updated : Oct 12, 2024, 3:16 PM IST

नई दिल्ली:राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने आयोग की रिपोर्ट 'आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे' के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाना चाहिए.

एनसीपीसीआर की तैयार की गई रिपोर्ट में 11 अध्याय हैं, जिनमें मदरसों के इतिहास और बच्चों के शैक्षिक अधिकारों के उल्लंघन में उनकी भूमिका का उल्लेख है. एनसीपीसीआर ने यह भी सिफारिश की है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए और मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाना चाहिए.

एनसीपीसीआर प्रमुख प्रियांक कानूनगो के पत्र में कहा गया है, "शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 इस विश्वास पर आधारित है कि समानता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र जैसे मूल्यों को प्राप्त करना सभी के लिए समावेशी शिक्षा के प्रावधान के माध्यम से ही संभव है. हालांकि, बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच एक विरोधाभासी तस्वीर बनाई गई है."

सभी को स्कूल में मिले शिक्षा
इस संबंध में आयोग ने आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसा टाइटल से एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में 11 अध्याय हैं जो मदरसों के इतिहास के विभिन्न पहलुओं और बच्चों के शैक्षिक अधिकारों के उल्लंघन में उनकी भूमिका को छूते हैं. इसमें कहा गया है कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि सभी बच्चों को आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 2 (एन) के तहत परिभाषित स्कूलों में शिक्षा मिले."

मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाना चाहिए
आयोग ने यह भी कहा कि केवल बोर्ड का गठन करने या UDISE कोड लेने का मतलब यह नहीं है कि मदरसे आरटीई अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का पालन कर रहे हैं. इसलिए, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य द्वारा दिया जाने वाला फंड बंद कर दिया जाना चाहिए और मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाना चाहिए.

इसमें यह भी सिफारिश की गई है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए. साथ ही, मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसा में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिया जाए.

यह भी पढ़ें- खुशखबरी! नालंदा यूनिवर्सिटी में आसियान छात्रों के लिए छात्रवृत्ति होगी दोगुनी

Last Updated : Oct 12, 2024, 3:16 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details