गुवाहाटी :असम में अहोम वंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीलेनुमा ढांचे में दफनाने की व्यवस्था 'मोइदम' को शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया. इसी के साथ 'मोइदम' इस सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली सांस्कृतिक संपत्ति बन गई है. यह निर्णय नई दिल्ली में 21 जुलाई से आयोजित विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र में लिया गया. पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रसन्नता व्यक्त की है.
बता दें कि ऐतिहासिक चराईदेव मोइदम, अहोम राजवंश की पहाड़ी दफन प्रणाली, जो अहोम शासन के 600 साल के स्वर्णिम इतिहास को समेटे हुए है, को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है, अहोम राजवंश के पवित्र दफन स्थलों, स्मारकों को शामिल करने का निर्णय, जो अहोम साम्राज्य और उनके गौरव की कहानी बताते हैं.
भारत ने 2023-24 के लिए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए देश की ओर से नामांकन के रूप में 'मोइदम' का नाम दिया था. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि यह भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व की बात है कि 'मोइदम' ने डब्ल्यूएचसी सूची में जगह बनाई है. उन्होंने कहा कि चराई देव स्थित मोइदम उस गौरवशाली अहोम संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं, जो अपने पूर्वजों के प्रति अपार श्रद्धा रखती है. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि महान अहोम शासन और संस्कृति के बारे में और अधिक लोग जान सकेंगे. मुझे खुशी है कि मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है.
वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐतिहासिक मोइदम को विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल करने के फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने एक्स पर लिखा कि मोइदम को सांस्कृतिक संपत्ति श्रेणी के तहत यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया यह असम के लिए एक बड़ी जीत है. उन्होंने पीएम मोदी के अलावा यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के सदस्यों और असम के लोगों को धन्यवाद दिया.