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चंद्रयान-3 के लैंडर उपकरण ने स्थान मार्कर के रूप में काम करना शुरू किया - Chandrayaan 3

Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 लैंडर के एक उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास काम करना प्रारंभ कर दिया है. यह जानकारी देते हुए इसरो ने कहा कि 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर का तब से लोला से संपर्क है. पढ़िए पूरी खबर

Chandrayaan 3
चंद्रयान 3

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 19, 2024, 11:20 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर के एक उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थान मार्कर के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. इसरो ने एक बयान में कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर पर लगा लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (एलआरए) ने काम करना शुरू कर दिया है. बयान में कहा गया है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने 12 दिसंबर, 2023 को परावर्तित संकेतों का सफलतापूर्वक पता लगाकर लेजर रेंज माप हासिल किया.

इसरो ने कहा, 'एलआरओ पर लूनर ऑर्बिटर लेजर अल्टीमीटर (लोला) का इस्तेमाल किया गया. अवलोकन चंद्रमा की रात के समय हुआ, जिसमें एलआरओ चंद्रयान-3 के पूर्व में बढ़ रहा था.' अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत नासा के एलआरए को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर पर समायोजित किया गया था. इसमें एक अर्द्धगोलाकार ढांचे पर आठ कोने वाले-घन रेट्रोरिफ्लेक्टर शामिल हैं. यह उपयुक्त उपकरणों के साथ परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान द्वारा विभिन्न दिशाओं से लेजर की सुविधा प्रदान करता है. लगभग 20 ग्राम वजनी ऑप्टिकल उपकरण को चंद्रमा की सतह पर दशकों तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

इसरो ने कहा कि 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर का तब से लोला से संपर्क है. बयान में कहा गया है कि चंद्र अन्वेषण की शुरुआत के बाद से चंद्रमा पर कई एलआरए तैनात किए गए हैं. चंद्रयान-3 पर एलआरए एक लघु संस्करण है. यह वर्तमान में दक्षिणी ध्रुव के पास उपलब्ध एकमात्र एलआरए है. इसरो ने कहा, 'चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर नासा का एलआरए दीर्घकालिक जियोडेटिक स्टेशन और चंद्र सतह पर एक स्थान मार्कर के रूप में काम करना जारी रखेगा, जिससे वर्तमान और भविष्य के चंद्र मिशन को लाभ होगा.'

बयान में उल्लेख किया गया कि इस माप से अंतरिक्ष यान की कक्षीय स्थिति के सटीक निर्धारण में सहायता मिलेगी. इसके अलावा, चंद्रमा की गतिशीलता, आंतरिक संरचना और गुरुत्वाकर्षण विसंगतियों से जुड़ी जानकारी मिलेगी.

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