रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने हसदेव अरण्य और परसा कोल ब्लॉक को लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. बुधवार को एसटी आयोग ने आरोप लगाया कि सरगुजा संभाग में परसा कोयला खदान के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने में अनियमितताएं पाई हैं. राज्य एसटी आयोग ने कहा है कि ग्राम सभा के प्रस्तावों से संबंधित जाली दस्तावेजों के आधार पर हरी झंडी प्राप्त की गई थी.
छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग की क्या है रिपोर्ट: आयोग ने जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र में परसा कोयला ब्लॉक में प्रस्तावित खनन को दी गई वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की है. पैनल ने मेगा प्रोजेक्ट के लिए अनुमति लेने के लिए साल्ही, हरिहरपुर और फतेपुर के प्रभावित गांवों में एक नई ग्राम सभा बुलाने का सुझाव दिया है. इसके तहत ग्राम परिषद की बैठक आयोजित करने का भी सुझाव दिया गया है. वन मंजूरी को लेकर जाली दस्तावेजों का आधार लेने पर ग्रामीणों और हरित कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया है.
ग्राम सभा की मंजूरी जरूरी: एसटी आयोग ने कहा कि जब भी प्रोजेक्ट की घोषणा होती है. उस दौरान प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए वन भूमि की जरूरत होती है. इसके लिए ग्राम सभाओं की सहमति प्राप्त करना जरूरी होता है. छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग का कहना था कि हमने ग्रामीणों की शिकायत पर जांच की. उसके बाद यह खुलासा हुआ कि परसा परियोजना के लिए पर्यावरण और वन मंजूरी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त की गई थी. पैनल की सिफारिशों पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि संबंधित अधिकारी मामले पर गौर करेंगे.
परसा कोयला खदान के लिए क्या क्या हुआ?: सरगुजा संभाग के जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य क्षेत्र में खदान की अनुमति मिली है. यहां राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित परसा कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई पिछले महीने भारी पुलिस सुरक्षा के बीच शुरू हुई है. राज्य द्वारा संचालित उपक्रम आरआरवीयूएनएल ने बाद में परियोजना के लिए अडानी समूह को खदान डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के रूप में चुना. अप्रैल 2022 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सरगुजा और सूरजपुर जिलों में फैली परसा कोयला खदान के लिए 841.548 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग के लिए अंतिम मंजूरी दी थी. उसके बाद नवंबर 2022 में राज्य सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र लिखा था. राज्य सरकार ने वन महानिदेशक को एक पत्र में परियोजना के लिए वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग की मंजूरी को रद्द करने का अनुरोध किया था.
छत्तीसगढ़ एसटी आयोग ने सरगुजा कलेक्टर को लिखे पत्र में परियोजना के लिए वनों की कटाई रोकने की सिफारिश की है. इसके साथ ही ग्राम सभा के प्रस्तावों में जालसाजी से संबंधित शिकायतों को लेकर निष्कर्ष उन्हें उपलब्ध कराए हैं. हमारी जांच में यह निकला है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पर्यावरण और वन मंजूरी मिली है. इस पत्र में मेरे और दो सदस्यों अमृत टोप्पो और गणेश सिंह ध्रुव के हस्ताक्षर हैं. इस रिपोर्ट पर सचिव ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिाय. हमने राज्यपाल को भी इस संदर्भ में पत्र लिखा है.सरगुजा के सात गांवों के 41 लोगों ने इस संदर्भ में 3 अगस्त 2021 को शिकायत दर्ज कराई थी: भानु प्रताप सिंह, छत्तीसगढ़ एसटी आयोग के पैनल के अध्यक्ष
क्या है आरआरवीयूएनएल का पक्ष ? : राज्य एसटी आयोग ने इस संदर्भ में निष्कर्ष निकाला है. राज्य एसटी आयोग की तरफ से कहा गया है कि परसा कोल ब्लॉक के लिए पर्यावरण मंजूरी और वन भूमि की अनुमति के लिए दुरुपयोग किया गया है. इस संदर्भ में अनुमति लेने के लिए आरआरवीयूएनएल ने जिला प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों का कथित रूप से दुरुपयोग किया. जबकि आरआरवीयूएनएल ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है. आरआरवीयूएनएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएसएसटीसी अध्यक्ष पर परियोजना के संदर्भ में एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाया हैं. कंपनी ने राज्य एसटी आयोग पर द्वेष से काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पैनल ने आरआरवीयूएनएल की तरफ से प्रस्तुत जवाबों और दस्तावेजों का संज्ञान नहीं लिया.