नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भारत में सांप के काटने के मामलों और इससे होने वाली मौतों को 'अधिसूचित रोग' घोषित करने का आग्रह किया है.
जब सर्पदंश के मामलों और मौतों को "अधिसूचित रोग" घोषित कर दिया जाएगा, तो सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं (मेडिकल कॉलेजों सहित) के लिए सभी संदिग्ध, संभावित सर्पदंश के मामलों और मौतों की रिपोर्ट करना अनिवार्य हो जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिव और अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) को संबोधित एक पत्र में इस बात की जानकारी दी.
उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा कि, सांप के काटने से सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता होती है और कुछ मामलों में, वे लोगों के लिए मौतें, अस्वस्थता और विकलांगता का कारण बनते हैं. उन्होंने कहा कि, सर्पदंश का सबसे अधिक खतरा किसान, आदिवासी आबादी में है. ईटीवी भारत के पास इससे संबंधित एक पत्र भी मौजूद है. इसमें सांप के काटने की समस्या से निपटने के लिए, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने संबंधित मंत्रालयों और हितधारकों के परामर्श से "2030 तक भारत से सांप के काटने के जहर की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना" (NAPSE) शुरू की है.
श्रीवास्तव ने कहा कि, कार्य योजना का उद्देश्य वर्ष 2030 तक सांप के काटने से होने वाली मौतों को आधा करना है। योजना में सांप के काटने के प्रबंधन, नियंत्रण और रोकथाम में शामिल विभिन्न हितधारकों की रणनीतिक घटकों, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया गया है. उन्होंने कहा कि, NAPSE के तहत प्रमुख उद्देश्यों में से एक भारत में सांप के काटने के मामलों और मौतों की निगरानी को मजबूत करना है.
पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि, सांप के काटने की घटनाओं और मौतों पर सटीक रूप से नजर रखने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली जरूरी है, जो इससे संबंधित महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगी.