रांची:केंद्र सरकार की कोयला कंपनियों पर भूमि मुआवजा, वॉश्ड कोल रॉयल्टी और कॉमन कॉज मद में बकाया 1.36 लाख करोड़ की वसूली का मामला तूल पकड़ने लगा है. हालिया विवाद गहराने का कारण बने हैं, बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव. उनके सवाल पर वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि कोयले से राजस्व के रूप में अर्जित कर (टैक्स) में झारखंड सरकार का कोई भी हिस्सा लंबित नहीं है. दरअसल, पप्पू यादव ने सवाल ही गलत पूछा था. क्योंकि राज्य सरकार टैक्स में हिस्सेदारी की नहीं बल्कि वॉश्ड कोल रॉयल्टी, भूमि अधिग्रहण मुआवजा और ब्याज जोड़कर 1.36 लाख करोड़ का दावा कर रही है.
फरवरी 2023 में लोकसभा में सरकार का जवाब
खास बात है कि बकाये के भुगतान का मामला लोकसभा में पहले भी उठ चुका है. 8 फरवरी 2023 को लोकसभा सत्र के दौरान राजमहल के झामुमो सांसद विजय हांसदा ने बकाए का सवाल उठाया था. उन्होंने पूछा था कि कोयला कंपनियों पर मुआवजा और रॉयल्टी मद में कितना बकाया है. उन्होंने केंद्र सरकार के मंतव्य के साथ पूरा ब्योरा मांगा था. जवाब में तत्कालीन कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कोल इंडिया लिमिटेड से मिली सूचना को आधार बताते हुए कहा था कि जमीन मुआवजा की कोई राशि बकाया नहीं है. जबकि कोयले पर रॉयल्टी का अग्रिम भुगतान हुआ है. उन्होंने कोल इंडिया लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनियों द्वारा रॉयल्टी मद में झारखंड को तीन वर्षों में दी गई राशि का भी ब्योरा दिया था.
किस मद में कितना मांग रही है राज्य सरकार
इस सवाल और जवाब से तो ऐसा ही लग रहा है कि राज्य सरकार का केंद्र सरकार की कोल कंपनियों पर कोई बकाया नहीं है. क्योंकि इस सवाल के जवाब में जमीन मुआवजा का भी जिक्र है. लेकिन सच ये है कि जवाब में केंद्र सरकार ने खनन के लिए अधिग्रहित व्यक्तिगत जमीन की बात की है. जबकि राज्य सरकार ने वॉश्ड कोल रॉयल्टी मद में 2, 900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी सीमा के उल्लंघन मद में 32, 000 करोड़, भूमि अधिग्रहण (32,802 एकड़ जीएम लैंड, 6,655.72 एकड़ जीएम जेजे लैंड- सरकारी जमीन) मुआवजा मद में 41,142 करोड़ की मांग की है. इसके साथ ही अतिरिक्त 60 हजार करोड़ का दावा ब्याज के रूप में किया है. इस लिहाज से कुल राशि 1,36,042 करोड़ रुपए हो गई है.
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