नई दिल्ली:पश्चिम बंगाल में कथित कोयला स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. शीर्ष न्यायालय के समक्ष दलील दी गई कि उसे इस बात की जांच करनी होगी कि क्या केंद्रीय एजेंसी अखिल भारतीय क्षेत्राधिकार मान सकती है और किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी स्थान पर बुला सकती है. दलील में कहा गया कि, पीएमएलए की धारा 50 की कथित आड़ में और पीएमएलए में किसी गवाह या आरोपी को बुलाने की कोई प्रक्रिया नहीं है.
लोकसभा में डायमंड हार्बर सीट से सांसद बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का घोर अपमान होगा.
अभिषेक बनर्जी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष बहस की. सिब्बल ने जोरदार तर्क दिया कि किसी आरोपी को बुलाने के लिए कानून द्वारा स्थापित एक प्रक्रिया मौजूद होनी चाहिए. सितंबर 2021 में ईडी ने बनर्जी और उनकी पत्नी को समन जारी किया था. सिब्बल ने कहा, 'धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में कोई प्रक्रिया नहीं है, इसलिए प्रक्रिया की कमी एक प्रक्रिया बन जाती है. पीएमएलए में किसी गवाह या आरोपी को बुलाने की कोई प्रक्रिया नहीं है.'
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को यह प्रदर्शित करना होगा कि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका वे पालन कर रहे हैं जो कानून द्वारा स्थापित है और उचित है. सुनवाई के दौरान पीठ ने सिब्बल से कहा कि उनके मुवक्किल ने समन का जवाब दिया होगा लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए. सिब्बल ने जवाब दिया कि उनके मुवक्किल दिल्ली और कोलकाता में पेश हुए थे. वहीं, ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वे जांच को गुमराह कर रहे हैं और पैसा थाईलैंड भेजा गया है.