नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन' पर एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को 'वन नेशन वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
बता दें कि चुनाव सुधारों के तहत एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में रहा है. इससे पहले रामनाथ कोविंद समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के रेटिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता पड़ेगी, जिन्हें संसद द्वारा पारित करना होगा.
इसके अलावा एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों की आवश्यकता होगी. इतना ही नहीं विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट लेकर आने वाला है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया कि विधि आयोग सरकार के तीनों स्तरों - लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों - के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में यूनिटी गवर्नमेंट का प्रावधान पेश कर सकता है.
अतीत में हो चुके हैं एक साथ चुनाव
भारत में 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव हुए थे. 1967 में यह सिस्टम अपने चरम पर था, जब 20 राज्यों में चुनाव संसद के निचले सदन के राष्ट्रीय चुनावों के साथ हुए थे. 1977 में यह संख्या 17 रह गई, जबकि 1980 और 1985 में 14 राज्यों में एक साथ चुनाव हुए थे.इसके बाद, मध्यावधि चुनाव सहित विभिन्न कारणों से चुनाव अलग-अलग होने लगे.
विभिन्न राज्य विधानसभाओं के अलग-अलग कार्यकाल के चलते सभी चुनाव एक साथ कराने के लिए बहुत सारे पैंतरेबाजी की जरूरत होगी, जिसमें कुछ चुनावों को पहले कराना और कुछ को डिले करना शामिल है.
विधानसभाओं की चुनावी स्थिति
इस साल मई-जून में लोकसभा चुनाव हुए, जबकि ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी संसदीय चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए. वहीं, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया अभी चल रही है, जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में भी इस साल के अंत में चुनाव होने हैं.
दिल्ली और बिहार में भी 2025 में चुनाव होने हैं. असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी की मौजूदा विधानसभाओं का कार्यकाल 2026 में खत्म होगा, जबकि गोवा, गुजरात, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विधानसभाओं का कार्यकाल 2027 में खत्म होगा.