मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अपने अंतिम चरण में हैं. ऐसे में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनको लेकर राज्य की सियासत काफी गर्म हो गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान 'बटेंगे तो कटेंगे' महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का विषय बन चुका है. वहीं विपक्ष ने इस मुद्दा बना लिया है. दूसरी तरफ मीडिया में भी योगी के इस बयान को लेकर बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के नेताओं के अलग-अलग बयान भी सामने आ रहे हैं.
यूपी सीएम के इस बयान से महायुति में ही असमंजस की स्थिति बनी हुई है. बीजेपी नेता और सांसद अशोक चव्हाण ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, भले ही वे भारतीय जनता पार्टी में हैं लेकिन वे एक धर्मनिरपेक्ष हिंदू हैं और वे हमेशा से अपने काम पर ही विश्वास करते आए हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, उन्होंने कभी भी खुद को हिंदू धर्म से अलग नहीं किया है. उन्होंने कहा कि, भाजपा में धर्मनिरपेक्ष होने के बावजूद भी हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हैं.
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसपी) के अध्यक्ष अजित पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, उत्तर प्रदेश और झारखंड में तो लड़ेंगे तो कटेंगे स्टाइल वाले बयान काम करेंगे लेकिन महाराष्ट्र में इस तरह का बयान काम नहीं करेगा.
उन्होंने योगी के बयान पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि, महाराष्ट्र साधु-संतों, शिव प्रेमियों, छत्रपति शिवाजी महाराज और बाबासाहेब अंबेडकर का राज्य है. पवार ने कहा कि, इन महान लोगों ने जो शिक्षा उन्हें दी है वह उनके खून में है और वे उसी राह पर हमेशा चलते रहेंगे. इस बीच, गुरुवार शाम मुंबई के शिवाजी पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य में आखिरी चुनावी सभा में अजित पवार का नहीं पहुंचना, मीडिया की सुर्खियां बन गईं.
पंकजा मुंडे का बयान
वहीं, सीएम योगी के बयान को लेकर बीजेपी और उनके घटक दल के नेताओं की तरफ से अलग-अलग बयान आ रहे हैं. बीजेपी विधायक पंकजा मुंडे ने कहा कि, महाराष्ट्र में 'बटेंगे तो कटेंगे ' जैसे नारे लगाने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि, वे सिर्फ भाजपा की हैं, इसलिए इस तरह के बयान का वे समर्थन हरगिज नहीं करेंगी.
पंकजा ने कहा कि, राज्य में विकास ही असली मुद्दा है और वह इसमें विश्वास करती हैं. पंकजा मुंडे ने यह भी कहा कि सभी के लिए अनुकूल माहौल बनाना उन नेताओं की जिम्मेदारी है. हालांकि, फिर पंकजा मुंडे अपने बयान से पलट गईं. उन्होंने कहा कि, उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है लेकिन प्रिंट मीडिया में क्या छपा है, इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगीं.'
वहीं बटेंगे तो कटेंगे वाले बयान पर राजनीतिक मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. महागठबंधन के भीतर ही मतभेद पैदा होने का अहसास होने के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करना पड़ गया. फडणवीस ने कहा कि, 'बटेंगे तो कटेंगे' का नारा महाविकास अघाड़ी के चुनाव प्रचार का जवाब है. यह महाविकास अघाड़ी की तुष्टिकरण का जवाब है.
फडणवीस ने कहा कि, इस नारे का असली मतलब यह है कि हम सब एक साथ रहना चाहते हैं. इसका मतलब है कि हम एक साथ हैं तो सुरक्षित हैं. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक जयंत मैनकर ने 'बटेंगे तो काटेंगे' नहीं बल्कि 'भटकती आत्मा' के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि,पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को 'भटकती आत्मा' कहा था. यही वजह है कि नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में शरद पवार की सीधे आलोचना करने से परहेज किया है. मैनकर ने कहा, इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान 'बटेंगे तो कटेंगे' इस साल महायुति के लिए खतरनाक साबित होने वाला है. योगी के बयान को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं.
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