हैदराबादः बीआरएस से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की मांग को लेकर बीआरएस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि 10 विधायकों के खिलाफ शिकायत के 9 महीने बाद भी स्पीकर ने कोई फैसला नहीं लिया है. हाईकोर्ट के फैसले के 6 महीने बाद भी स्पीकर ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि स्पीकर को 4 हफ्ते के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया जाए.
क्या है मामलाः स्टेशन घनपुर के विधायक कादियान श्रीहरि, भद्राचलम के विधायक तेलम वेंकटराव और बीआरएस की ओर से जीते खैरताबाद के विधायक दानम नागेंद्र सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. बीआरएस के विधायक पदी कौशिक रेड्डी और विवेकानंद ने उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद सात और विधायक भी बीआरएस से कांग्रेस में शामिल हो गए.
हाईकोर्ट ने क्या दिया फैसलाः केसीआर पार्टी के नेताओं ने इन 7 विधायकों के खिलाफ भी याचिका दायर की. 9 सितंबर को एकल पीठ ने फैसला सुनाया था कि विधायकों के खिलाफ शिकायतें स्पीकर को भेजी जाएं. सुनवाई की तारीख तय करने के बाद 4 सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री डाक से उनको जानकारी दी जाए. विधानसभा सचिव ने एकल पीठ द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए मुख्य न्यायाधीश की पीठ में अपील दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट में क्यों दायर की याचिकाः हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जे. श्रीनिवास राव की पीठ ने सुनवाई की. सीजे बेंच ने विधानसभा अध्यक्ष को दल-बदल निरोधक अधिनियम की 10 वीं अनुसूची के तहत फैसला लेने का आदेश जारी किया. हाईकोर्ट ने पार्टी से दल-बदल करने वाले विधायकों के खिलाफ सिंगल बेंच के फैसले को खारिज कर दिया. इसी फैसले के खिलाफ बीआरएस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
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