गोड्डाः बीजेपी ने मोहन चरण मांझी को ओडिशा का नया मुख्यमंत्री मनाया है. वो संथाल आदिवासी हैं. इस कदम के जरिए बीजेपी की मंशा झारखंड के आदिवासियों तक यह संदेश देने की हो सकती है कि वो उनकी सबसे बड़ी हितैषी है. हालिया लोकसभा चुनाव नतीजों में एसटी रिजर्व सारी सीटें इंडिया गठबंधन ने जीत ली.
वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार में झारखंड से किसी आदिवासी नेता को जगह नहीं मिली. वजह सभी एसटी रिजर्व सीट पर हार है. इसी साल के अंत में झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होना है. लोकसभा चुनाव परिणाम से यह साफ दिखता है कि आदिवासी बीजेपी से खुश नहीं हैं. आदिवासियों की नाराजगी दूर करने के लिए ही आदिवासी विधायक मोहन चरण मांझी को ओडिशा का सीएम बनाया गया है. वो क्योंझर से चार बार के विधायक हैं. मोहन चरण मांझी संथाल आदिवासी हैं
बता दें कि संथालों की मूल धरती संथाल परगना ही है, लेकिन इनका विस्तार ओडिशा और बंगाल के आलावा बिहार में सर्वाधिक है. झारखण्ड में सर्वाधिक संथाल आदिवासी हैं. झारखंड में आदिवासियों के बीच पैठ बनाने के लिए ही भाजपा में बाबूलाल मरांडी की वापसी हुई. उन्हें विधायक दल का नेता और प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी ने बनाया. लोकसभा टिकट बंटवारे में भी उनकी खूब चली, लेकिन बीजेपी का यह कदम कुछ खास काम नहीं आया.
अब भाजपा ने नई रणनीति के तहत मोहन चरण मांझी को ओडिशा का सीएम बनाया है. इसके जरिए वह संदेश देना चाहती है कि वो आदिवासी और संथाल के लोगों की हितैषी है. इधर बाबूलाल मरांडी ने भी कहा है कि संथाल आदिवासी से भाजपा कितना प्रेम करती है, इसका प्रमाण है कि पार्टी ने ओडिशा का मुख्यमंत्री संताल आदिवासी बेटे मोहन चरण मांझी को बनाया है, यह उन्हें बड़ा सम्मान है.
संथाल आदिवासियों की सबसे अधिक आबादी झारखंड के बाद बंगाल और ओडिशा में है. झारखंड के सीमावर्ती जिले क्योंझर, सुंदरगढ़ और मयूरभंज हैं. इन जिलों में संथाल आदिवासी सर्वाधिक हैं. ओडिशा के सबसे बड़े जिले मयूरभंज से देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आती हैं, वो भी संथाल आदिवासी हैं. वहीं अब ओड़िशा का मुख्यमंत्री क्योंझर के विधायक मोहन चरण मांझी को बनाया गया है.
बताते चलें कि इन सीमावर्ती जिलों में झामुमो भी दखल रखता रहा है. इसी लोकसभा चुनाव में दिशोम गुरू शिबू सोरेन की बेटी अंजनी सोरेन भी खड़ी थी जो तीसरे स्थान पर रही. 2004 में यहां से झामुमो के टिकट पर सुदाम मरांडी जीत चुके हैं तो क्योझर और सुंदरगढ़ में झामुमो अपनी उपस्थिति संथाल आबादी के दम पर दिखाता रहा है.